
भास्कर समाचार सेवा
मोदीनगर । शत्रु संपत्ति प्रकरण में आज नौवें दिन लगातार क्रमिक अनशन जारी रहा। अध्यक्षता देवी शरण शर्मा ने की व संचालन नवीन जैन ने किया। मुंडन कराने वालों में आशीष कसाना, ललित चौधरी, टीकम सिंह. देवी प्रसाद शर्मा, मनीष कुमार, महेंद्र सिंह, सुंदर सिंह, विपिन शर्मा, जगबीर गुर्जर, सोनू गुर्जर व कृष्णपाल चौधरी रहे। वहीं अनशन पर बैठने वालों में कविता त्यागी, शशि शर्मा, रचना शर्मा, विमलेश, ममता चौधरी, कमलेश, शांति, नेहा शर्मा, रश्मि शर्मा, ममता शर्मा व देवी शरण शर्मा रहे। धरने को तिलक राज, आशीष, आजाद, मुकेश, बालाजी, राम दत्त शर्मा, चमन सिंह नेता, महेंद्र सिंह, सुंदर गुर्जर ,रणवीर गुर्जर, शांति प्रकाश, अमित गुर्जर, विनोद शर्मा, किशोर महेश्वरी आदि ने संबोधित किया। आंदोलन की अगुवाई कर रहे पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉ बबली गुर्जर ने प्रशासनिक अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप लगाय। कोई सुध नहीं ली है लगातार प्रशासन अनदेखी कर रहा है । उन्होंने बताया कि आगामी 20 तारीख में समिति की एक मीटिंग होगी और उसमें आंदोलन को आगे बढ़ाने की अगली रूपरेखा तैयार की जाएगी । इस मौके पर ममता चौधरी, हरिमोहन, कमल प्रकाश, कन्हैया कुमार, शांति देवी, विशाल शर्मा, हरिओम शर्मा, अनिल शर्मा, उमेश मित्तल, सुनील भार्गव, विशाल कुमार शर्मा व सुभाष चंद्र आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
पूर्व विधायक एवं पूर्व पालिकाध्यक्ष पंडित सुदेश शर्मा ने किया समर्थन
पूर्व विधायक एवं पूर्व पालिकाध्यक्ष पंडित सुदेश शर्मा शत्रु सम्पत्ति प्रकरण में चल रहे अनशन स्थल पर पहुंचे और अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करते हुए समर्थन पत्र सौंपा। इस अवसर पर उनके साथ लीलू प्रधान फफराना, अरुण तोमर, विजयपाल शर्मा, दीपक राठी, संजय गुप्ता, राजकुमार अत्री, शाहिद प्रधान आदि मौजूद रहे। एक
समर्थन पत्र में कहा गया है कि विगत दिनों तहसील प्रशासन द्वारा मोदीनगर क्षेत्र की करीब 1800 बीघा जमीन को अवैधानिक तरीके से शत्रु सम्पत्ति घोषित कर दिया गया। जिसमें हजारों परिवारों को अपनी पैतृक व दशकों पूर्व खरीदी संपत्ति खोने का खतरा पैदा हो गया है। इसके परिपेक्ष्य में कई महीनों से तहसील स्तर पर धरने प्रदर्शन किये जा रहे है। परन्तु अब तक इस गंभीर मामले में तहसील प्रशासन का रवैया उपेक्षापूर्ण एंव उदारसीन रहा है जिस कारण क्षेत्र के लोगों में रोष व्याप्त है और उन्हें अपने छोटे छोटे मकानों को बचाने के लिए अपना व्यापार नौकरी और कामधंधा छोड़कर धरने प्रदर्शन को मजबूर होना पड़ रहा है।