
भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली। भारत के सबसे चर्चित रियल एस्टेट ब्रांड यूनिटेक लिमिटेड अब पुनरुत्थान की राह पर है। वर्षों से कानूनी पेचीदगियों और प्रोजेक्ट देरी में उलझी कंपनी अब अपनी 1,000 एकड़ से अधिक मूल्यवान ज़मीन से ₹2 लाख करोड़ से अधिक का राजस्व उत्पन्न कर सकती है-यह वही ज़मीन है जो देश के सबसे प्रीमियम रियल एस्टेट मार्केट्स जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, आगरा, वाराणसी, गुड़गांव और चेन्नई में स्थित है।
देश का रियल एस्टेट सेक्टर 2025 में $332.85 बिलियन से बढ़कर 2030 तक $985.80 बिलियन तक पहुंचने की ओर अग्रसर है, और यूनिटेक की पोर्टफोलियो इस सुनहरे अवसर को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
नोएडा का ज़मीन खज़ाना: 88,000 करोड़ की क्षमता सिर्फ एक सेक्टर से नोएडा के सेक्टर 96, 97 और 98 में यूनिटेक के पास मौजूद 347 एकड़ ज़मीन भारत के शहरी विकास की नई कहानी लिख सकती है। पुराने स्वीकृत प्लान में करीब 7,000 फ्लैट्स प्रस्तावित थे, जिनमें प्रत्येक की औसतन साइज़ 5,000 वर्ग फीट है। आज के बाजार मूल्य पर (₹25,000 प्रति वर्ग फीट), सिर्फ इन आवासीय प्रोजेक्ट्स से लगभग ₹85,000 करोड़ का संभावित राजस्व है।
इसके अलावा, इस भूमि का 52% भाग आवासीय, 12% संस्थागत, 38% रिक्रिएशनल और सार्वजनिक उपयोग के लिए चिह्नित है, जिससे इसकी वाणिज्यिक और सामाजिक उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है। फिर भी, नए प्रबंधन द्वारा प्रस्तावित रिज़ॉल्यूशन प्लान में इसकी वैल्यू को केवल ₹5,641 करोड़ आँका गया—जो इसके असली मूल्य का एक अंश मात्र है।
‘भूमि का व्यापक फैलाव: 1,000 एकड़ का राष्ट्रीय नेटवर्क’
यूनिटेक की ताकत सिर्फ नोएडा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में फैली है। कंपनी के पास:
- ग्रेटर नोएडा में 76 एकड़ (Verve, Habitat आदि),
- आगरा में 246 एकड़ (ADA अधिग्रहण के बाद),
- वाराणसी में 244 एकड़,
- और गुड़गांव व चेन्नई जैसे हाई-डिमांड शहरों में बहुमूल्य ज़मीन है।
Godrej Properties जैसी कंपनियां सिर्फ 30 एकड़ ज़मीन पर ₹7,300 करोड़ का प्रोजेक्ट बना रही हैं। ऐसे में यूनिटेक की 1,000 एकड़ भूमि के लिए ₹2 लाख करोड़ का राजस्व आंकलन एकदम वास्तविक और रूढ़िवादी है।
‘कठिनाइयों के बावजूद आशा की किरण’
कंपनी पर नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से लगभग ₹11,000 करोड़ की देनदारियाँ हैं, जो यूनिटेक के अनुसार अनुचित और कानूनी रूप से गलत हैं। यदि इन मांगों का सही मूल्यांकन कर ₹505.80 करोड़ पर लाया जाए, तो कंपनी का वित्तीय संतुलन बहाल हो सकता है और प्रोजेक्ट्स दोबारा ज़ोर पकड़ सकते हैं।
जुलाई 2024 में नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 96, 97 और 98 में प्रोजेक्ट्स के लेआउट को हरी झंडी दी है और जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा RERA से छूट मिलने से होमबायर्स के लिए फाइनेंसिंग आसान हो गई है।
‘पुनरुत्थान का रास्ता: पारदर्शिता और संकल्प’
यूनिटेक लिमिटेड के पास आज भी भारत की सबसे मूल्यवान ज़मीनों में से एक है। ज़रूरत है तो सिर्फ पारदर्शी संचालन, ईमानदार वैल्यूएशन और stalled प्रोजेक्ट्स को पूर्ण करने की ठोस रणनीति की। एक बार जब यूनिटेक इस ज़मीन का सही उपयोग शुरू कर दे, तो न सिर्फ उसका अपना स्थान पुनः स्थापित होगा बल्कि लाखों होमबायर्स और निवेशकों का भरोसा भी बहाल होगा।