नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को 2024-25 का आम बजट पेश करके लगातार सातवीं बार बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। लेकिन इस रिकॉर्ड को कायम करने की राह में वित्त मंत्री के सामने ऐसा बजट पेश करने की चुनौती है जो महंगाई और रोजगार की समस्या घटाने के साथ ही इकोनॉमी की स्पीड में भी तेजी लाने का काम करे।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। ऐसे में इस साल होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों से पहले इस बजट के जरिए लोगों का भरोसा जीतने के लिए कई बड़े एलान किए जाने का अनुमान है। नई सरकारें आमतौर पर लोक-लुभावन बजट पेश नहीं करती हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद इस बार मध्यम वर्ग के लिए फ्रेंडली बजट पेश किया जा सकता है।
बजट से मिलेगी मध्यम वर्ग को राहत
सबसे पहले तो माना जा रहा है कि इस बार के बजट में चुनावों में दूर छिटके मध्यवर्ग को अपनी तरफ खींचने के लिए सरकार टैक्स छूट का तोहफा दे सकती है। अनुमान है कि सरकार आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। इसके अलावा टैक्स स्लैब्स को भी बढ़ाकर लोगों की जेब में ज्यादा रकम पहुंचा सकती है। इस कदम से सरकार टैक्स का बोझ कम करेगी जिससे लोगों को महंगाई से राहत मिल सकती है। वहीं नए टैक्स सिस्टम को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाने और दूसरी जरूरी कटौतियों को शामिल किया जा सकता है। इसे बढ़ाने से टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी और पुरानी टैक्स रीजीम से स्विच करने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
ग्रामीण रोजगार पर रहेगा फोकस!
इसके बाद सरकार युवाओं को साधने के मकसद से रोजगार बढ़ाने वाली योजनाओं का बजट में ऐलान कर सकती है। रोजगार को बढ़ाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने से जुड़े ऐलान भी किए जा सकते हैं। जानकारों ने पीएम मोदी के सामने भी कृषि विकास के बारे में चिंता जताई थी। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत दिए गए छोटे-छोटे कर्जों के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती को भी उजागर किया गया था। इस समस्या का समाधान करके सरकार कई दूसरे सेक्टर्स की भी मदद करेगी क्योंकि स्नरूष्टत्र से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की ग्रोथ देश के ग्रामीण बाजारों पर निर्भर है। इसी तरह कृषि क्षेत्र के लिए भी कई एलान बजट में किए जा सकते हैं।
कृषि में एमएसपी का मुद्दा सुलझाएगा बजट!
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए एमएसपी की खामियां सरकार दूर कर सकती है। फसलों की सरकारी खरीद कुल उपज का करीब 6 फीसदी है। ऐसे में कृषि बाजारों और ग्राम हाट जैसे वैकल्पिक सिस्टम को तैयार करके ज्यादातर किसानों को एमएसपी जितना दाम दिलाया जा सकता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर बीज का इंतजाम आसान किया जा सकता है। पीएम किसान की रकम को 6 हजार से बढ़ाकर 8 हजार या उससे भी ज्यादा किया जा सकता है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बड़े एलान होंगे!
इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर भी सरकार गंभीर है। बजट में ऐसी योजनाएं लाई जा सकती हैं जिनसे भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा जो आर्थिक ग्रोथ में इजाफा करेगा और ग्लोबल सप्लाई चेन में भी भारत का रोल महत्वपूर्ण करेगा। इसके अलावा कभी दुनिया में टेक्सटाइल के मोर्चे पर अपना दबदबा रखने वाला भारत इस बार के बजट से इस सेक्टर की भी कायापलट होने की उम्मीद लगाए बैठा है।
अफोर्डेबल घरों की परिभाषा बदलेगी!
इस बार के बजट में मांग की जा रही है कि अफॉर्डेबल आवास स्कीम का दायरा बढ़ाया जाए। इसके लिए 45 लाख रुपये तक के घरों पर मिलने वाली सब्सिडी को बढ़ाकर 65 लाख रुपये किया जाए। वहीं होम लोन की ब्याज दरों में टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये और 80 सी के तहत छूट की सीमा को भी डेढ़ लाख रुपये से बढाकर ढाई लाख रुपये करने की मांग है। इन सबके अलावा भी एजुकेशन, हॉस्पिटैलिटी और ऑटो सेक्टर तक के लिए बजट में कई बड़े एलान किए जाने की संभावना है।