
नई दिल्ली। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लगभग 5 प्रतिशत वयस्क इस मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। अब तक डिप्रेशन का कारण अत्यधिक तनाव, जीवन में अचानक आई बड़ी घटनाएं या जेनेटिक फैक्टर्स माने जाते थे। हाल ही में एक नई स्टडी में इसका एक और संभावित कारण सामने आया है अत्यधिक नमक का सेवन। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस स्टडी में ज्यादा नमक वाली डाइट और डिप्रेशन के बीच सीधा संबंध पाया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादा नमक खाने से आईएल-17ए नामक साइटोकाइन का उत्पादन बढ़ सकता है, जो डिप्रेशन के लक्षणों को विकसित कर सकता है। इस शोध को चूहों पर किया गया था, जिसमें पाया गया कि अत्यधिक नमक का सेवन करने वाले चूहों में मानसिक तनाव के लक्षण देखे गए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंसानों पर भी इसी तरह का प्रभाव पड़ सकता है। शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने कुछ चूहों को सामान्य नमक वाला भोजन दिया, जबकि कुछ को अत्यधिक नमक वाली डाइट पर रखा। 5 से 8 हफ्तों तक चलने वाले इस अध्ययन में पाया गया कि अधिक नमक खाने वाले चूहों में डिप्रेशन के लक्षण तेजी से विकसित हुए। इससे यह स्पष्ट हुआ कि नमक न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 90 प्रतिशत लोग रोजाना जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, एक वयस्क को प्रतिदिन 5 ग्राम (लगभग 1 चम्मच) से अधिक नमक नहीं खाना चाहिए। अत्यधिक नमक का सेवन हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। खासतौर पर हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को अपने नमक के सेवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि डिप्रेशन से बचाव के लिए न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी है, बल्कि खानपान की आदतों में भी संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।