70 फीट नीचे जमीन में भी मोबाइल नेटवर्क रहेगा मजबूत…भूमिगत स्टेशनों पर कनेक्टिविटी के लिए बीएसएनएल से समझौता

– मेट्रो स्टेशनों के साथ भूमिगत सुरंग में बीटीएस लगाएं जाएंगे
– फिलहाल बीएसएनएल के सिम धारकों को मिलेगी कनेक्टिविटी
 
कानपुर। कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हरकत के कारण कानपुर मेट्रो के भूमिगत कॉरिडोर पर परिचालन भले ही टल गया है, लेकिन यात्री सुविधाओं को दुरुस्त करने की दिशा में काम लगातार जारी है। अब कानपुर मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट पर सफर करने के दौरान यात्रियों को मोबाइल की कनेक्टिविटी और सिग्नल के लिए नहीं जूझना नहीं होगा। मेट्रो प्रबंधन ने बीएसएनएल से करार करते हुए मेट्रो के सभी अंडरग्राउंड स्टेशनों और टनल के अंदर नेटवर्क स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। इस व्यवस्था से जमीन के 70 फीट नीचे भी मोबाइल पर गुफ्तगू होती रहेगी, अलबत्ता शर्त यह रहेगी कि मोबाइल में बीएसएनएल का सिम एक्टिव होना चाहिए।

हरी झंडी के साथ कनेक्टिविटी सुविधा मिलना तय
कानपुर मेट्रो प्रबंधन के एडवांस कम्युनिकेशन एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स ने भूमिगत कॉरिडोर में मोबाइल संचार सुविधा मुहैया कराने के लिए बीएसएनएल के साथ अनुबंध किया है। इस करार के तहत बीएसएनएल ने 70 फीट गहराई में स्थित भूमिगत मेट्रो स्टेशनों और सुरंगों में मोबाइल बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) स्थापित करना शुरू कर दिया है। बीटीएस के जरिए भूमिगत सेक्शन में मेट्रो यात्रियों को निर्बाध मोबाइल नेटवर्क और संचार सेवाएं उपलब्ध होगी। फिलहाल मेट्रो के भूमिगत सफर पर मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली बीएसएनएल एकमात्र सेवा प्रदाता कंपनी है। बीएसएनएल के प्रधान महाप्रबंधक प्रभांश यादव ने बताया कि बीएसएनएल ने मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट पर सभी टेस्टिंग को पूर्ण कर लिया है। मेट्रो अपने अंडरग्राउंड रूट पर जिस दिन से यात्री सेवाएं शुरू करेगा, उस दिन से यात्रियों को यहां पर बीएसएनएल का नेटवर्क मिलना शुरू होगा। उन्होंने कहा कि जिन यात्रियों के पास बीएसएनएल का सिम होगा, उन्हें सफर के दौरान कनेक्टिविटी की समस्या से जूझना नहीं होगा। यात्रियों को 4जी सेवाएं बेहतर स्पीड के साथ मिलेंगी। मैनेजिंग डायरेक्टर मोहम्मद मजहर ने बताया कि एएसएस ने यूपीएमआरसी के साथ नौ साल का एग्रीमेंट साइन किया है, वह लोग अंडरग्राउंड स्टेशनों पर कॉमन मोबाइल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएंगे। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी के हिसाब से टनल के अंदर नेटवर्क मिलने से यात्रियों को असहजता का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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