9 जगहें…1 मिशन : क्यों Operation Sindoor बना आतंकवाद पर Surgical Strike 2.0

बुधवार की सुबह अभी धुंध में लिपटी हुई थी, जब भारत ने एक ऐसा अभियान शुरू किया, जो न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि सालोंं से जमा हो रहे आक्रोश का साफ और ठोस जवाब भी. इस मिशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर है. यह कोई साधारण कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की तीनों सेनाओं द्वारा चलाया गया एक समन्वित और बहु-स्तरीय सैन्य अभियान था.

भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित नौ ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया. वो ठिकाने जो सालों से आतंक का कारोबार चला रहे थे. इन नौ जगहों को यूं ही नहीं चुना गया था. कहीं सुसाइड बॉम्बर तैयार किए जाते हैं, तो कहीं ससंद हमले से लेकर पुलवामा अटैक तक की साजिश रची गई. 

लश्कर की फैक्टरी, जिहाद की पाठशाला

लाहौर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर में शांत दिखने वाला एक इलाका मुरीदके है, लेकिन यह इलाका लश्कर-ए-तैयबा का दिल है. एक ऐसा परिसर जो किसी छोटे से शहर जैसा लगता है. 200 एकड़ में फैला हुआ, जिसमें ट्रेनिंग मैदान, हथियारों के गोदाम और कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार करने वाले संस्थान मौजूद हैं 

कोटली

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की पहाड़ियों में बसा कोटली एक वक्त शांत इलाका माना जाता था, लेकिन वक्त के साथ यह जगह आतंक के नक्शे पर उभर आई. एक ऐसा ठिकाना, जहां आत्मघाती हमलावरों और लड़ाकों की फौज तैयार की जाती है. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बार-बार कोटली को उन सेंटर में गिना है, जहां आतंक की पढ़ाई होती है. बंदूकें चलाने की ट्रेनिंग, बारूदी हमलों की तैयारी और भारत के खिलाफ नफरत भरने का पैगाम दिया जाता है. बताया जाता है कि इस सुविधा में किसी भी समय 50 से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग देने की क्षमता है. यह कोई साधारण कैम्प नहीं, बल्कि एक युद्धशाला है, जहां आने वाला हर व्यक्ति भारत में तबाही मचाने के मकसद से तैयार किया जाता है.

सरजाल और बरनाला

सरजाल और बरनाला आमतौर पर नक्शों में ये दो छोटे से नाम ही लगते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई में ये पाकिस्तान से भारत में आतंक के प्रवेश द्वार हैं. नियंत्रण रेखाऔर अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब बसे ये इलाके आतंकियों के लिए छाया पथ बन चुके हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इन इलाकों का इस्तेमाल अक्सर घुसपैठ की योजनाओं के लिए किया जाता है. रात के अंधेरे में मौसम की ओट में और स्थानीय नेटवर्क के सहारे. यहीं से भारत में तबाही लाने वाले कदम सरहद पार करते हैं. 

आतंक की छाया तले छिपा शहर

पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब में बसा बहावलपुर, बाहर से देखने पर एक आम शहर जैसा लगता है. सड़कें, बाजार, मस्जिदें, लेकिन इसके भीतर बसी है वह सच्चाई जो सालों से भारत के लिए खतरा बनी हुई है. यह वही शहर है जिसे आतंक की दुनिया में जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ के तौर पर जाना जाता है. मसूद अजहर इस खतरनाक संगठन का सरगना, यहीं से अपने जाल को फैलाता रहा है.

बहावलपुर सिर्फ़ एक ठिकाना नहीं था. यह वह जगह थी जहां से भारत पर खून बहाने वाली साजिशें रची गईं. 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला और 2019 का पुलवामा आत्मघाती विस्फोट इन दोनों घटनाओं की कड़ियां इसी शहर से जुड़ती हैं.

मेहमूना- हिजबुल की आखिरी सांसें

सियालकोट के पास बसा मेहमूना अब पहले जैसा सक्रिय नहीं रहा, लेकिन यह अब भी आतंक के इतिहास का एक जिंदा पन्ना है. यही वो इलाका है, जहां हिजबुल मुजाहिदीन ने अपनी जड़ें जमाई थीं. हाल के वर्षों में इस संगठन की ताकत में गिरावट आई है, लेकिन भारतीय अधिकारियों की मानें तो मेहमूना जैसे ठिकानों से अब भी कुछ बचे-खुचे आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ये जगहें हिजबुल के लिए आखिरी बचे हुए ठिकानों की तरह हैं, जहां से विचारधारा, हथियार और दिशा तीनों दी जाती हैं.

गुलपुर-राजौरी और पुंछ में मौत का दरवाज़ा

जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ ज़िलों में हुए हमलों के पीछे जो नाम सबसे ज्यादा सामने आया वह गुलपुर है. यह वही जगह है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में एक ऐसे मंच के रूप में काम करता रहा है, जहां से आतंकी सीधे भारतीय सीमा में दाखिल होते हैं. 2023 और 2024 में जब भारतीय सुरक्षा काफिलों और नागरिक इलाकों पर हमले हुए, तो सूत्रों ने बार-बार गुलपुर का नाम दोहराया. यह सिर्फ एक पड़ाव नहीं था बल्कि लॉन्चपैड था. आतंकवादियों का आखिरी पड़ाव जहां से वे मौत और तबाही लेकर भारतीय ज़मीन में उतरते थे.

सवाई

उत्तर कश्मीर की वादियों सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम जहां एक ओर बर्फीली चोटियां और खूबसूरत वादियां हैं. वहीं दूसरी ओर अतीत में गोलियों की गूंज भी सुनाई दी है. इन हमलों के पीछे जिस नाम की परछाईं अक्सर दिखती है, वह है सवाई. सवाई, लश्कर-ए-तैयबा का एक ऐसा सीक्रेट ट्रेनिंग कैंप है, जिसे बार-बार कश्मीर घाटी में हुए हमलों से जोड़ा गया है. यह कैंप न सिर्फ आतंकवादियों को सैन्य रूप से प्रशिक्षित करता है, बल्कि उन्हें स्थानीय भूगोल, रूट्स और घातक रणनीतियां भी सिखाता है, ताकि वे घाटी में बड़ी आसानी से घुसपैठ कर सकें और हमला कर सकें.

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