रिसर्च में दावा-आईसीयू में एसी के इस्तेमाल से डॉक्टरों पर मंडरा रहा महामारी का खतरा

नई दिल्ली
एक तरफ कोरोना ने समूची दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है वहीं दूसरी तरफ इस महामारी के बीच भी कोरोना वॉरियर्स यानि फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स लोगों की मदद के लिए उपलब्ध हैं। इस महामारी के दौर का सबसे ज्यादा खामियाजा भी इन्हीं फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को भुगतना पड़ा है। अकेले भारत में ही कोरोना से संक्रमित होने वाले 500 से ज्यादा डॉक्टरों की मौत हो गई है। इस बीच एक स्टडी ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिहाज से आईसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कोरोना मरीज के इलाज के वक्त एसी इस्तेमाल करने से संक्रमण फैलने का खतरा बताया है। 


दरअसल देश के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान विश्वविद्यालयों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऑफ बेंगलुरु की स्टडी में सामने आया है कि सेंटर एयर कंडीशनिंग सिस्टम, कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हेल्थ वर्कर्स में कोरोना संक्रमण फैलने का एक महत्वपूर्ण कारण बना है और इससे डॉक्टरों और नर्सों की मौत भी हुई है।

ऐसे कम किया जा सकता है खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हवा के दोहराव को कम करने और बाहरी हवा के उपयोग को बढ़ाने से कोरोनो वायरस फैलने का खतरा कम हो सकता है। पिछले अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि गर्म जलवायु वाले देशों को ध्यान रखना चाहिए कि एयर कंडीशनिंग के साथ ओवर कूलिंग करके इनडोर कमरे नहीं सुखाए जाते हैं, यह देखते हुए कि इनडोर ह्यूमिडिटी का स्तर 40% और 60% के बीच रखने से वायरस के हवा में फैलने के खतरे को सीमित करने में मदद मिलेगी।

हवा का फिल्टर न होना बन रहा परेशानी का सबब
आईसीयू में ज्यादा फोर्स वाले पंखे लगाकर एयर कंडीशनिंग की समस्या को दूर किया जा सकता है, जो कि हवा को खींचने के लिए बाहर निकालते हैं। इसे बाहर निकालने के लिए पहले साबुन-आधारित एयर फिल्टर या बहुत गर्म पानी के साथ बाहर निकाला जा सकता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक ए जी रामाकृष्णन ने बताया कि आईसीयू में कोरोना मरीज वायरस के सक्रिय स्रोत हैं, और वे लगातार कणों को बाहर निकाल रहे हैं, तो यदि आप हवा को फ़िल्टर नहीं कर रहे हैं, तो यह चीजों को बदतर बना रहा है।

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