
उपेक्षित है सवा तीन करोड़ का राजस्व देने वाली मिहींपुरवा की कृषि मंडी। दुकानो की निलामी भी नही की गयी।
मंडी परिसर को ही बना दिया अस्थाई तहसील।
मंडी परिषद ने वसूला सिर्फ टैक्स। वर्ष 2019-20 में सरकार को दिया 3 करोड़ 23 लाख 30 हजार रुपये का राजस्व। फिर भी मंडी परिसर में नही चालू हुई दुकाने।
1 नवम्बर 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था शिलान्यास।
मिहींपुरवा/बहराइच l छह वर्ष पूर्व बनाई गयी मिहींपुरवा मंडी में अबतक न तो दुकाने लगी, और न ही कोई निलामी हुई। सिर्फ विभिन्न प्रकार के टैक्स वसूल कर एक वर्ष में लगभग सवा तीन करोड़ रुपये सरकार को दिया गया है। वर्षो से उपेक्षित मंडी परिसर में वर्तमान में तहसील संचालित हो रही है। हर वर्ष करोड़ो रुपये वसूल कर सरकार को टैक्स देने वाली कृषि उत्पादन समिति मिहींपुरवा उपेक्षा का शिकार है। जबकि सरकार इस ओर ध्यान नही दे रही है।
हिमालय की तलहटी वाले जिला बहराइच की सोंधी माटी परवल और कुंदरू की पैदावार में नंबर वन है मिहींपुरवा क्षेत्र में इसका सर्वाधिक उत्पादन होता है इसी वजह से सब्जी उत्पादन में सरकार को हर साल भारी भरकम टैक्स भी मिलता है। वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कृषि मण्डी समिति मिहींपुरवा का शिलान्यास किया था वर्ष 2014 में मंडी बनकर तैयार हो गई थी किंतु 1 वर्ष से अधिक समय तक यह मंडी समिति आफ़िस विहीन रही।
क्षेत्रीय लोगों के तमाम प्रयासों के बाद वर्ष 2016 में कृषि उत्पादन मंडी समिति का कार्यालय स्थापित हुआ अगस्त 2016 में मंडी शिफ्टिंग के तहत दुकानें आवंटन करने की तारीख रखी गई किंतु बाढ़ आ जाने के कारण अधिकारी व कर्मचारी उसमें लग गए जिससे दुकानें आवंटित नही हो सकीं। तबसे मंडी परिसर वैसे ही पड़ा है।
मंडी परिसर को ही बना दिया अस्थाई तहसील
पर्यटन क्षेत्र होने के कारण मिहीपुरवा क्षेत्र को तहसील बनाने के लिए काफी दिनों से लोग मांग कर रहे थे तमाम प्रयासों के बाद मिहींपुरवा को तहसील का दर्जा दे दिया गया किंतु यहां तहसील भवन न होने के कारण जिलाधिकारी को काफी परेशानी होने लगी । 28 मई 2019 को मंडी परिसर में आयोजित समाधान दिवस में पहुंचे जिलाधिकारी ने मंडी परिसर में ही अस्थायी तहसील कार्यालय बनाने के निर्देश दिए थे जिलाधिकारी की संस्तुति पर 4 जून 2019 को वीरान पड़े मंडी परिसर में अस्थायी तहसील कार्यालय बनाया गया मंडी परिषद के कार्यालय में एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार व सीओ के कार्यालय बनाये गये हैं मंडी के चबूतरे पर तख्त डालकर अधिवक्ता अपना कामकाज करते हैं।
मंडी परिषद ने वसूला सिर्फ टैक्स
मंडी परिसर में खरीद व फरोख्त चालू हुए बिना कृषि उत्पादन समिति मिहींपुरवा ने वर्ष 2019-20 में सब्जी, वन निगम लकड़ी, खाद्यान, मछली ठेका, गुड़ उत्पादन आदि व्यवसाय से टैक्स वसूल कर सरकार को 3 करोड़ 23 लाख30 हजार रुपये दिया है। फिर भी मंडी समिति को सुविधाएं मुहैया नहीं हुई है ।
क्या कहते हैं जिम्मेदार–
मंडी सचिव मुकेश त्रिपाठी ने बताया कि 5 जून को आये अध्यादेश में मंडी परिसर के अंदर काम करने वाले दुकानदारो को कुछ अतिरिक्त टैक्स देने की बात कही गयी है जिसका असर सभी जगह मंडी परिसर की दुकानो पर पड़ रहा है जहां तक मिहींपुरवा कृषि उत्पादन मंडी समिति की बात है तो मैने अभी जल्द ही कार्य भार लिया है मंडी परिसर में अभी कुछ काम चल रहा है तथा मंडी परिसर में बनी दुकानों के आगे गड्ढे भी है। उच्च अधिकारियों से बात कर मंडी शीध्र चालू करने का प्रयास किया जा रहा है।