कहां वो नूर ये ख़ाक कहां है नबी का ज़िक्र…..

बरेली।( मुनीब हुसैन )पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो वआलेही वसल्लम की विलादत के जश्न के मौके पर सैय्यद बिलाल नकवी की ओर से तरही महफिल जश्ने सरताज-ए-बशरियत का आयोजन किया गया। जिसका उन्वान नबी का जिक्र और मेरी ज़ुबां है। महफिल का आग़ाज़ तिलावते क़ुरआने पाक से मौलाना अब्बास गाज़ी ने किया। महफ़िल की सदारत कर रहे मौलाना सदाकत हुसैन नक़वी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन द्वारा पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा के कार्टून बनाने को लेकर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने शिया समुदाय से अपना विरोध दर्ज कराने के लिये फ्रांस के सामान का बहिष्कार करने की अपील की।
इस बीच ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कलीम हैदर सैफी ने कहा कि हिंसा किसी विवाद का हल नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि फ्रांस की सरकार द्वारा पैगंबरे इस्लाम का अनादरण करने वालों का समर्थन एक घृणित और भड़काऊ कदम जिसे सहन नहीं किया जाएगा। तकरीर के बाद महफिल का दौर शुरू हुआ।
उजाला कब्र का हो या हरम का
उन्ही के नूर से रौशन जहां है( जव्वाद हैदर नक़वी)

लिसानउल्लाह को भी फ़ख्र ये है
नबी का ज़िक्र और मेरी ज़ुबां है (ज़ीशान हैदर)

रखी है धार ज़िक्रे मुर्तजा ने
ये खंजर है कि मीसम की ज़ुबां है (सरवर नक़वी काशिफ)

अलीओ फातिमा शब्बीर ओ शब्बर
यही तो मुस्तफा का कारवां है*(बाक़र ज़ैदी)
इस दौरान डॉक्टर अक़ील ज़ैदी के इस शेर से महफ़िल में गर्माहट आ गई
कहां वो नूर ये ख़ाक कहां है
नबी का ज़िक्र और मेरी ज़ुबां

इसके बाद अदील जाफरी ने कलाम पेश किया
ये जुमला कर दिया मोहमिल नबी ने
शराफत का जमाना ही कहां है

जिना से कम कहां वो आशियां है
नबी के नाम की महफ़िल जहां है (हानि बरेलवी)

वही शाद फर्रुखाबादी ने भी अपने इस शेर से खूब वाहवाही लूटी
सितारे और सूरज कुछ नहीं है
नबी के नूर से रोशन जहां है
महफ़िल में हुनर फर्रुखाबादी, मोहम्मद नक़वी, आबिद शेर खान, सज्जाद अमरोही ने भी कलाम पेश किए। वही
महफिल की सदारत मौलाना सय्यद सदाकत हुसैन नक़वी ने की। वही कार्यक्रम का संचालन कलीम हैदर सैफ़ी ने किया। महफिल के बाद शायरों को तोहफे से नवाजा गया।