आपका पैसा हम निकलवा देंगे’ आश्वासन देते चालिस दिन बीता दिये थानेदार, अंत मे बोले- हमें कर्जा दिये है क्या?

योगी की यूपी पुलिस के थानेदार ने पार की संवेदना की हदें
० आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने सौंपा एसपी को पत्रक
० पिडित को न्याय और थानेदार के विरुद्ध कार्रवाई की रखी मांग
० पत्रकार के पिता से हुए छिनैती की नहीं दर्ज की मुकदमा

भास्कर ब्यूरो, मिर्जापुर।
जहां एक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पत्रकार उत्पीड़न अथवा पत्रकारों के साथ की गई आपराधिक गतिविधियों मे शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश पुलिस अधिकारियों को दिए है। उसी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में बल्कि योगी की उत्तर प्रदेश पुलिस ने पड़री निवासी पत्रकार मिथिलेश अग्रहरि के पिता शीतला प्रसाद अग्रहरि से हुई छिनैती के मामले में न ही छिनैती का मुकदमा पंजीकृत किया और ना ही अपराधी की गिरफ्तारी की। और ना ही उसके रुपयों की बरामदगी हुई। यह हाल तब है जबकि घटना के दूसरे ही दिन आरोपी के संबंध में पूरी जानकारी हो गई थी लेकिन पुलिस ने आरोपी युवक को किसी दबाव में आकर छोड़ दिया। और मजे की बात तो यह है कि छिनैती के इन्हीं रुपयों से उक्त अपराधी ने जेल में बंद अपने बड़े भाई को रिहा भी करा लिया और पड़री थानेदार पत्रकार परिवार को लगातार चालिस दिन तक ‘आपका पैसा हम निकलवा देंगे’ इस बात की घुट्टी पिलाते रहे। और हद तो तब हो गई जब पड़री थानेदार वेंकटेश तिवारी ने पिडित पक्ष से दो दिन पहले यह कहकर मामले को रफा-दफा करना चाहा कि हमें कर्जा दिये है क्या?

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पड़री थानेदार के द्वारा पत्रकार परिवार के प्रति इस संवैधानिक हनन के खिलाफ मंगलवार को आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र गुप्ता और जिलाध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव के नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिंह को एक पत्रक सौंपा और पुलिस अधीक्षक को पत्रकार के पिता के साथ हुई छिनैती की प्राथमिकी न दर्ज करते हुए पड़री थानाध्यक्ष द्वारा संबंधी अपराधी को छोड़ें जाने और चालिस दिन से पिड़ित पक्ष को सिर्फ आश्वासन दिये जाने के प्रकरण से अवगत कराते हुए अविलंब पत्रकार के पिता के साथ घटित घटना की प्राथमिकी दर्ज कराते हुए/रुपयों की रिकवरी कराने के साथ ही लगातार चालिस दिन से मामले में विधि विरुद्ध ढंग से लीपापोती करने वाले पड़री थानाध्यक्ष के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की।

बताते चलें कि हिंदुस्तान हिंदी दैनिक अखबार के पत्रकार और आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला कोषाध्यक्ष मिथिलेश अग्रहरि के पिता जी बीते 18 नवंबर को सुबह पडरी थाना क्षेत्र के पुतरिहां गांव स्थित चट्टर नदी में स्नान करने गए थे जिनको चकमा देकर उससे ₹16500 नगद छिनैती की गई थी। भुक्तभोगी ने छिनैती की सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी। पडरी बाजार निवासी शीतला प्रसाद अग्रहरि पुत्र स्वर्गीय ढकेलू साव अग्रहरि मसाला बेचने का काम करते हैं। विगत 2 साल से वे अपनी बढ़ती हुई जमा पूंजी हमेशा अपनी सदरी में रखे रहते थे।

18 नवंबर को सुबह लगभग 7:30 बजे अपने आवास पर यहां से स्नान करने के लिए चट्टर नदी में गए हुए थे। वह ₹16500 और अपने कमरे की चाबी अपनी सदरी में रखे हुए थे। इस दौरान एक नवयुवक नदी के घाट पर आकर शीतला प्रसाद का चप्पल पानी में फेंक दिया। शीतला प्रसाद जैसे ही चप्पल लेने के लिए पानी मे गये। इसी बीच उक्त शातिर उनकी सदरी लेकर भाग निकला। पानी से निकलने के बाद भुक्तभोगी शीतला प्रसाद ने उक्त युवक का काफी पीछा भी किया लेकिन शातिर युवक भागने में सफल रहा। भुक्तभोगी ने पड़री थाने पहुंचकर घटना की जानकारी देते हुए चकमा देकर छीने गए रुपए 16500 की बरामदगी करने की मांग पुलिस से की।


इस घटना की पड़री थानेदार ने ना तो आज तक प्राथमिकी दर्ज की और ना ही संबंधित आरोपी को गिरफ्तार कर उसे बरामदगी का ही जहमत उठाया। बल्कि लोगों के बताने पर जिस अपराधी को घटना के ठीक दूसरे दिन अर्थात 19 नवंबर को पकड़ा उसे किसी के दबाव में आकर छोड़ने को मजबूर हो गए।


छिनैती करने वाले युवक ने इस घटना में छिने गए रुपयों से अपने बड़े भाई जोकि जेल में बंद था, उसे छुड़ा लिया। अगर घटना के ठीक दूसरे दिन दबाव में आकर पकड़े गये अपराधी को थानेदार न छोड़ते तो बरामदगी भी हो जाती और उसका बड़ा भाई छोटे भाई द्वारा किये गये छिनैती के पैसों से जेल से रिहा भी न होता।


लेकिन थानेदार ने ऐसा करने की बजाय पीड़ित पक्ष से कहा कि आप मुकदमा मत लिखाइये हम पैसे की रिकवरी कराकर देंगे। लेकिन आश्वासनों की घुट्टी पिलाते पिलाते थानेदार ने चालिस दिन का वक्त गुजार दिया। न मुकदमा लिखा, न अपराधी को छोड़ने के बाद पुनः पकड़ा और न ही पिडित के रुपये ही दिला सके।
वहीं दूसरी ओर यह पता चला कि अधेड़ शीतला प्रसाद से साढ़े सोलह हजार की छिनैती करने वाला आरोपी पुलिस के पास से मुक्त होते कुछ ही दिनों बाद मुंबई भाग गया है। बताया जाता है कि पिडित का पैसा न मिलने से वह लगातार सदमे में है और कोई भी कदम उठा सकता है। ऐसे में यदि उस परिवार में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा।
पुलिस अधीक्षक को थानाध्यक्ष के कार्यशैली व क्रियाकलापों के खिलाफ शिकायती पत्र सौंपने वालों में राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र गुप्ता, जिलाध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव, सोनभद्र जिला उपाध्यक्ष एम के मौर्य, जिला कोषाध्यक्ष मिथिलेश अग्रहरि आदि शामिल रहे।