
सेंथल। कस्बे में गुरुवार को हज़रत इमाम हुसैन के पुत्र हज़रत ज़ैनुल आबेदीन की विलादत के मौके पर घर-घर में नज़र ओ नियाज़ का आयोजन किया गया। इस बीच देर शाम इमामबारगाह खुर्द में एक तरही महफ़िल का आयोजन किया गया। जिसका उन्वान घर में शब्बीर के है जश्ने विलाए सज्जाद वही महफिल का आगाज तिलावते कुरान ए पाक से किया गया। इस दौरान मक़ामी शायरों ने अपने-अपने कलाम से इमाम सज्जाद की शान में कसीदे पढ़े। वही महफिल का सिलसिला पूरी रात चलता रहा।महफिल की शुरूआत में ही एक से बढ़कर एक कलाम पढ़कर पूरा समां बांध दिया। मिसरे तरह पर हुई महफिल में असद ज़ैदी ने पढ़ा
वख्त पड़ने पइ इमामत की गवाही देदी….
संगे अस्वत में भी मिलती है विलाए सज्जाद…
एक ज़ाहिफा जो आई थी ज़ियरात करने…..
मिल गई उसको जवानी यह अताए सज्जाद…(यासीन सेंथली)
कसरे ज़ालिम को हिलाने को हैं ख़ुत्बे काफी…
किस लिए खंजरों तलवार उठाए सज्जाद(अकील ज़ैदी)
मदहे खानी का मुझको मिला है यह शरफ़….
फर्श से अर्श तक मुझको ले आए सज्जाद.. (अनवर अली)
वही महफ़िल में, शुजात हुसैन, मोहिब हसनैन, अनवर अली, जाफर ज़ैदी, डॉ अकील ज़ैदी, मौलाना ग़ज़नफर अली, रईस हैदरी, असद ज़ैदी, अनवर ज़ैदी, आदि ने अशआर पड़े। महफिल का संचालन शारिफ हिंदी ने किया सदारत डॉ अकील ज़ैदी ने की। आखिर में महफ़िल को ख़िताब करते हुए मौलाना ने चौथे इमाम की ज़िन्दगी पर रौशनी डाली। और देश में कोरोना से निजात के लिए दुआ कराई। महफ़िल में अशआर पड़ने पर शायरों को तोहफे दिए गए। इस दौरान काशान ज़ैदी, इप्पू ज़ैदी, शबाबुल ज़ैदी, अयाज़ ज़ैदी, आदि मौजूद रहे।