प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही ने फिर ली एक मासूम की जान



  बछरावां -रायबरेली स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत प्राइवेट अस्पतालों की एक बाढ़ सी आ गई है  कुकुर मोत्तो की तरह उगे यह अस्पताल जीवन रक्षक कम भक्षक ज्यादा साबित हो रहे अभी चंद दिन पहले इसी तरह  के दो अस्पतालों द्वारा दो मासूमों की जान ली जा चुकी है । मामला पुलिस तक भी पहुंचा परंतु अपनी ऊंची पहुंच का फायदा उठाकर इन  अस्पतालों के संचालक बच निकलते है ।इन अस्पतालों में बहुत से संचालक ऐसे भी है जो सरकारी नौकरी करते हैं। नान प्रैक्टिस अलाउंस भी लेते हैं और सरकार की नजरों में   धूल झोंक कर प्राइवेट प्रैक्टिस  भी करते  है अगर सरकार तथा विभाग जांच कराए  तो इन प्राइवेट अस्पतालों में  आधे सेअधिक  ऐसे अस्पताल निकलेंगे जो सरकारी मानकों पर पूरे नहीं होंगे यह दीगर बात है कि इन अस्पतालों के दलाल पूरे क्षेत्र में फैले हुए हैं ।

यहां तक की सरकारी अस्पताल में भी इनके दलाल घूमा करते हैं जो मरीजों को फसाकर इन अस्पतालों तक पहुंचाते ऐसे ही अस्पतालों की धन लिप्सा का शिकार ग्राम टांडा मजरे शेखपुर समोधा के निवासी बिंदेश कुमार की पुत्री आकांक्षा हो गई अपनी पुत्री की बेहतर देखभाल के लिए धन कमाने की अभिलाषा लेकर बिंदेश कुमार 6 माह पूर्व जम्मू में नौकरी करने चला गया था घर पर उसकी पत्नी तथा अन्य लोग थे विगत 2 दिन पूर्व आकांक्षा को हल्का बुखार आया वह उसे लेकर इचौली ग्राम सभा में स्थित राधा हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम मे गए वहां मौजूद डॉक्टर सचिन द्वारा बच्ची का सिटी स्कैन कराने की सलाह दी गई इतना ही नहीं घरवालों से अच्छी खासी मोटी रकम जमा करा कर डॉक्टर सचिन खुद अपनी कार से बच्ची को लेकर विद्या हॉस्पिटल लखनऊ गए घरवालों के अनुसार विद्या हॉस्पिटल में आकांक्षा को नर्सों के द्वारा इंजेक्शन दिया गया । इंजेक्शन लगते ही उसकी हालत बिगड़ने लगी और अंततः वह मौत के गाल में चली गई! आकांक्षा के परिजनों द्वारा फिलहाल बछरावां थाने में प्रथम सूचना अंकित कराई गई है ।परिजनों द्वारा डॉक्टरों की लापरवाही का आरोप लगाया गया है पुलिस द्वार शव  कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

आकांक्षा के परिजनों की तहरीर पर जब पुलिस उक्त अस्पताल में पहुंची तो वहां डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ फरार हो चुका था अस्पताल पूरी तरह खुला हुआ था डॉक्टर का मोबाइल मेज पर ही पड़ा था इसी से प्रतीत होता था की अस्पताल का स्टाफ बड़ी हड़बड़ी में फरार हो गया हालांकि यह सर्वविदित है कि कानून के हाथ बहुत लंबे हैं देर सवेर बछरावां पुलिस अब तो जाकर तक पहुंच ही जाएगी परंतु सवाल यह उठता है  की इन प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा आए दिन किया जाने वाला मौत का तांडव कब बंद होगा अधिकारियों की कब कुंभकरणी नींद खुलेगी  कब इन अस्पतालों की जांच होगी मानक विहीन अस्पतालों को कब बंद कराया जाएगा

।अस्पतालों के बाहर लगे बोर्डों पर जिन जिन डॉक्टरों के नाम अंकित है क्या  वह इनअस्पतालों में आते हैं इसकी जांच कब होगी कुछ नर्सिंग होम ऐसे भी हैं जिनमें डॉ है ही नहीं अनट्रेंड  नर्स अथवा आया ही अस्पताल चला रही है इसकी जांच कब होगी विगत 1 सप्ताह पूर्व कसरावां ग्राम सभा में भी प्रसव के समय गलत चीरा लगा देने के कारण एक महिला की मौत हो चुकी है । यह दीगर बात है  कि वह मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा और मामला रफा-दफा हो गया  क्षेत्रीय जनता की मांग है  सघन अभियान चलाकर इन मानक विहीन अस्पतालों को बंद कराते हुए इनके संचालकों पर आवश्यक कार्यवाही की जाए।