संगीतमय श्रीराम कथा के आठवें दिन आचार्य ने राम विवाह का वर्णन किया

  • ‘‘उठहु राम भंजहु भवतापा, मेटऊ तात जनक संतापा‘‘

मैनपुरी। रामलीला मैदान पर श्री रामकथा में आठवें दिन बाल आचार्य पं शशि शेखर जी ने भगवान राम के विवाह की कथा का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया गया। आचार्य जी ने कहा कि ऋषियों के यज्ञ में व्यवधान करने वाले राक्षसों का संहार करने के बाद राम और लक्ष्मण राजा जनक के यहां उनकी पुत्री सीता के स्वयंभर में पहुंचते हैं। भगवान शंकर के धनुष को सैकड़ों राजा अकेले और सामूहिक रूप से भी हिला नहीं सके। तब गुरु विश्वामित्र की अनुमति से राम शिव धनुष को उठाकर तोड़ देते हैं। तत्पश्चात राम और सीता का धूमधाम से विवाह होता है।

     इससे पूर्व जजमान सुशीलकान्त उपाध्याय सहित कमेटी के पदाधिकारियों ने व्यास जी का पूजन किया। रामलीला मैदान की बाउंड्रीवाल के निर्माण मे सहयोग करने वाले पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव, डॉ0 राममोहन जी, डॉ0 चंद्रमोहन सक्सेना, सुरेशचंद्र अग्रवाल, रमेश चंद्र पांडेय को आचार्य जी और कमेटी के सदस्यों ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आचार्य जी को मधु पाठक ने चांदी का मुकुट और भगवती देवी ने सोने की अंगूठी पहनाकर सम्मानित किया।

       इस दौरान आचार्य तिलकेन्द्र शेखर त्रिपाठी, वीरसिंह भदौरिया, रमेशचंद्र सर्राफ, बीनू बंसल, अनिल अग्रवाल, अशोक गुप्ता पप्पू, आदित्य जैन, ओम कुमार चैहान, मनोज चैहान आदि मौजूद रहे।