
गोरखपुर। कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीक का समावेश हो रहा है। इसलिए कृषि छात्रों को इस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। जिससे कि उनकी दक्षता में विकास हो सके और वो आत्मनिर्भर बन सके।
यह बातें नेशनल पीजी कालेज बड़हलगंज के प्राचार्य डा. राकेश पांडेय ने कही। वे महाविद्यालय के कृषि संकाय में महिंद्रा प्राइड क्लासरूम के नांदी फाउंडेशन के स्किल डेवलोपमेंट प्रोग्राम के तहत रिजनेरेटिव आर्गेनिक फार्मिंग की छः दिवसीय ट्रेनिग का वर्चुअल शुभारंभ करने के बाद संबोधित कर रहे थे। नांदी से आए हुए उत्तर प्रदेश जोन के मास्टर ट्रेनर विंध्यवासिनी गोस्वामी ने छात्रों को रीजेनरेटिव आर्गेनिक फार्मिंग की बारीकियों के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है।
जिसके अंतर्गत कृषि विकास हेतु किसी भी रसायन का प्रयोग न करते हुए वैज्ञानिक विधियों द्वारा आर्गेनिक खाद बनाने की तकनीक कृषि छात्रों एवं किसानों तक पहुंचने का प्रयास है। इस तकनीकी से जीरो बजट में नेचुरल फार्मिंग, ओर्गानिक फार्मिंग, होमा फार्मिंग, ऋषि कृषि को बढ़ावा मिलेगा शस्य विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं इस प्रशिक्षण के कोआर्डिनेटर डा. अमरेंद्र चौबे ने कहा कि अधिक उत्पादन के लिए किसान आवश्यकता से अधिक रासायनिक खादों, कीटनाशकों फफूद नाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा साथ ही मानव एवं मृदा स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। आज हमे रिजनेरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जो कि ट्रेनिंग से ही संभव है। इस दौरान कृषि संकाय के छात्र मौजूद रहे।