नए दिली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर से राफेल मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल ने पूछा कि आखिरकार घाटे में चल रही अनिल अंबानी की कंपनी को ही राफेल लड़ाकू विमान के लिए ठेका क्यों दिया गया. उन्होंने कहा कि अनिल अंबानी की कंपनी तो घाटे में है फिर दसॉ ने 284 करोड़ रुपए क्यों दिए. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे चौकीदार हैं तो जांच क्यों नहीं करा रहे हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अनिल अंबानी की कंपनी के पास तो जमीन भी नहीं थी. उन्होंने दसॉ के पैसे से ही पुणे में जमीन खरीद लिया. राहुल गांधी ने कहा कि दसॉ के सीईओ साफ झूठ बोल रहे हैं. घाटे की कंपनी में दसॉ ने 284 करोड़ रुपए क्यों डाले. राहुल ने कहा कि इसे किक बैक कहा जाता है.
नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी में पार्टनरशिप है
राहुल ने कहा कि राफेल मामले में दो लोगों की पार्टनरशिप है. पहले हैं नरेंद्र मोदी और दूसरे हैं अनिल अंबानी. राहुल ने कहा कि सीबीआई चीफ को हटाया गया. वो इसका जांच करने वाले थे. उन्होंने कहा कि ये सबकुछ इस मामले में लीपापोती करने के लिए किया जा रहा है.
राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के फ्रांस दौरे पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अचानक वो फ्रांस गई और दसॉ के सीईओ मीडिया में आकर सफाई देने लगे.
राहुल गांधी ने कहा कि भारत सरकार कहती है कि कीमत एक टॉप सीक्रेट है. लेकिन दसॉ के पेपर में साफ लिखा हुआ है कि भारत सरकार राफेल के लिए कितना पैसे दे रही है. राहुल ने कहा कि जब मैं फ्रांस के राष्ट्रपति मैंक्रों से मिला था तो मैंने पूछा कि हिंदुस्तान के पब्लिक के पैसे से जहाज खरीदी जा रही है और आप हिंदुस्तान के लोगों को ही इसका दाम नहीं बताओगे. तब उन्होंने कहा था कि सीक्रेट पैक्ट में प्राइस है ही नहीं.
राफेल में हुआ है भारी भ्रष्टाचार
राहुल ने कहा कि इस मामले में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. राफेल से इस सौदे के लिए एक दशक से बातचीत जारी थी. सारे प्रोसेस के बाद राफेल को डील के लिए चुना गया था. लेकिन नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर इस मामले में फैसला लिया था. उस समय के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने साफ तौर पर कहा था कि मिस्टर मोदी ने इस मामले में निर्णय लिया.
राहुल गांधी ने कहा कि अगर इस मामले में जांच हो जाए तो नरेंद्र मोदी को कोई नहीं बचा पाएगा. पहला इसलिए कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ और दूसरा इसलिए कि उन्होंने ही फैसला लिया था.