
-इंसानी अस्पतालों की तरह ओपीडी से लेकर आईसीयू और जनरल वार्ड की मिलती है सुविधा
अशोक निर्वाण
गाजियाबाद। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कविनगर में बेजुबान पक्षियों के लिए एक ऐसा अस्पताल चल रहा है जहां पर इंसानों की तरह बेजुबां पशुओं का इलाज किया जाता है। फ़र्क़ इतना है कि इंसानों के अस्पतालों में इलाज के नाम पर अनाप-शनाप धन वसूला जाता है जबकि इस अस्पताल में पक्षियों की बीमारी के हिसाब से ओपीडी से लेकर आईसीयू व जनरल वार्ड जैसी सुविधाएं बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं। अस्पताल में न केवल गाजियाबाद बल्कि आसपास के जिलों नोएडा, हापुड़, बुलन्दशहर से भी पक्षियों को इलाज के लिए लाया व भर्ती किया जाता है और स्वस्थ होने पर उन्हें वापस भेज दिया जाता है। जी हां जैन समाज द्वारा यहां की पॉश कालोनी में संचालित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पक्षी चिकित्सालय नामक इस अस्पताल पक्षियों की हर बीमारी का इलाज किया जाता है बल्कि स्वस्थ होने के बाद उन्हें वापस छोड़ दिया जाता है। इस समय अस्पताल में 434पक्षी उपचाराधीन हैं। जिनमे आईसीयू या जनरल वार्ड में भर्ती किया गया है। पक्षियों के चिकित्सक डॉ. दीपक चौधरी यहाँ लगातार विजिट करते हैं तथा बीमार पक्षियों का इलाज करते हैं।
फार्मनसिस्ट सोमप्रकाश बताते हैं कि इस अस्पताल में न केवल पालतू पक्षी लाये जाते हैं बल्कि जंगली पक्षी जो दुर्घटना ने घायल हो जाते हैं या बीमार हो जाते हैं उनका इलाज किया जाता है। ज्यादा बीमार पक्षी को पहले आईसीयू में रखा जाता है। ठीक होने पर उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है और पूरी तरह से ठीक होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। जो पक्षी कम बीमार होते हैं उन्हें ओपीडी से प्राथमिक इलाज के बाद भेज दिया जाता है।

-सभी प्रजातियों के पक्षियों का होता है इलाज
इस अस्पताल में कबूतरों की विभिन्न प्रजातियों मसलन गोला, निशावरा, कावली, मद्रासी, पंजाबी, देवबंदी और सहारनपुरी आदि पक्षियों का इलाज होता है। अस्पताल में पक्षियों की बीमारियों के हिसाब से इलाज चलता है और उनकी सेहत में सुधार होने पर आसमान में छोड़ दिया जाता है। फॉर्मासिस्ट सोमप्रकाश ने बताया कि पक्षियों की पहचान के लिए कोड और पर्ची दी जाती है, जिसमें पक्षी और उसके मालिक का पूरा ब्योरा दर्ज किया जाता है। हालांकि, इलाज के बाद ठीक होते ही परिंदों को आजाद कर दिया जाता है।
जैन समाज के सहयोग से पिछले 22 वर्षों से चल रहा है अस्पताल
सोम प्रकाश बताते हैं कि यह अस्पताल जैन समाज द्वारा 29 मार्च 1999 से संचालित किया जा रहा है। जहां लाए जाने वाले पक्षियों के इलाज की एवज में कोई फीस नहीं वसूली जाती बल्कि अस्पताल को चलाने के लिए जैन समाज के साथ-साथ अन्य समाज के लोग भी दान करते हैं। कभी-कभी अस्पताल में बीमार पक्षियों की संख्या एक हजार के आसपास में पहुंच जाती हैं। जरूरत के हिसाब से यहां पर दो आईसीयू तथा 9 जनरल वार्ड है। पक्षियों को उनकी सेहत में सुधार के हिसाब से शिफ्ट किया जाता है। आईसीयू में भर्ती पक्षियों को हाथ से खाना जिसमें गेहूं ज्वार बाजरा या दवाइयां खिलाई जाती हैं। इंजेक्शन लगाया जाता है। उनका कहना है कि पक्षियों को भी मनुष्य की तरह खासी जुकाम नजला आंख में इंफेक्शन उल्टी दस्त जैसी बीमारियां होती हैं। जिन का इलाज डॉक्टर दीपक चौधरी करते हैं। उन्होंने बताया कि मांसाहारी पक्षियों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है बल्कि उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद भेज दिया जाता है क्योंकि इस अस्पताल में मांसाहार पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी उनका इलाज किया जाता है लेकिन अस्पताल में उन्हें भर्ती नहीं किया जाता।