दिवाली में पटाखे छोड़ने से पहले जान लें इनके साइड इफेक्ट, इन बातों का रखें खास ध्यान

दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही वायु प्रदूषण को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है. दीपावली में जलने वाले पटाखों से एक और जहां वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है तो वहीं गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और मनोविकार के रोगियों के लिए पटाखे सबसे ज्यादा घातक हैं इसलिए यह जरूरी है की दिवाली में पटाखे छोड़ने से पहले यह भी जान लें इनके साइड इफेक्ट से कैसे बचा जा सकता है.

प्रयागराज: दीपावली वैसे तो रोशनी का त्योहार है, लेकिन रोशनी के इस त्योहार में पटाखे छोड़ने की परंपरा भी इससे जुड़ गई है. दीपावली में छोड़े जाने वाले पटाखे न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि थोड़ी सी असावधानी में यह पटाखे जानलेवा भी हो सकते हैं. गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और मनोविकार के रोगियों के लिए पटाखे सबसे ज्यादा घातक हैं इसलिए यह जरूरी है की दिवाली में पटाखे छोड़ने से पहले यह भी जान लें इनके साइड इफेक्ट से कैसे बचा जा सकता है.

हर बार शासन-प्रशासन की ओर से दीपावली पर तेज आवाज वाले पटाखे छोड़ने की अनुमति नहीं रहती है, लेकिन तेज आवाज वाले पटाखों पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी ऐसे पटाखे बाजार में आते हैं और इनका प्रयोग भी धड़ल्ले से किया जाता है. दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी से ना केवल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा जाता है, बल्कि ध्वनि प्रदूषण का भी खतरा बढ़ता है. जिससे छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाओं को भी समस्या खड़ी हो सकती है.प्रयागराज की मंडलीय चिकित्सालय की डॉक्टर ईशान्या राज के मुताबिक दिवाली पर तेज आवाज से फटने वाले पटाखे, सुतली बम, शोर वाले रॉकेट आदि कहीं आपके कान के लिए परेशानी का सबब न बन जाएं, इसलिए दिवाली पर इन बातों का खास ध्यान रखें. ये है नुकसान


1. बेहद नजदीक से या हाथ में पकड़कर पटाखों को न जलाएं.

2. पटाखा न जलने पर तुरंत उसके पास न जाएं। हो सकता है वह अचानक फट जाए.

3. शोर की तीव्रता कम करने के लिए ईयरप्लग या ईयर मफ्स का प्रयोग करें.

4. शराब आदि पीकर पटाखे न जलाएं. ऐसे में कई बार सावधानी हटने से हादसे हो जाते हैं.

5. बहुत तेज शोर करने वाले पटाखों और बमों से बचें.

6. माता-पिता की निगरानी में ही बच्चे पटाखे जलाएं और बुजुर्ग व गर्भवती महिलाएं पटाखों से दूरी बनाएं.

7.अगर कोई अचानक से कहीं पर तेज आवाज वाला पटाखा छोड़ दे और वहां कोई दिल का मरीज हो तो उसको भी खतरा रहता है.

पटाखों की आवाज से यदि कान सुन्न होने, कम सुनने, सीटी बजने जैसी आवाज महसूस हो तो देर किए बिना चिकित्सक से संपर्क करें. इन परेशानियों में इलाज के लिए शुरुआती 24 घंटे प्रभावी होते हैं