वर्ष 2021 में भले ही वैश्विक महामारी का दौर हावी रहा, लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड ने ऊर्जा के क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल की हैं। इस दौरान प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति की दिशा में आगे बढ़ते ऊर्जा प्रदेश की संकल्पना को भी बल मिला। जहां प्रदेश की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ी, वहीं राष्ट्रीय बहुउद्देश्यीय परियोजना के निर्माण को भी हरी झंडी मिली। कोरोना की मार के बीच देश में उपजे कोयला संकट में जहां ज्यादातर राज्य अंधेरे में डूबने को मजबूर रहे, वहीं उत्तराखंड ने खुद को ऊर्जा प्रदेश साबित करते हुए इस संकट को बखूबी झेला। जल विद्युत परियोजनाओं के बूते प्रदेश में बिजली की मामूली कमी रही। हालांकि, अब अगले कुछ सालों में उत्तराखंड विद्युत उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश की मांग को पूरा करने के साथ ही केंद्रीय पूल को बिजली बेचकर राजस्व भी बढ़ा सकता है। निर्माणाधीन परियोजनाओं से उत्तराखंड को बल मिलने की उम्मीद है।
ये परियोजनाएं हैं खास
- वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएन) के तहत 1396.1 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएं परिचालन में हैं। 440.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में 5188.88 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ था। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 4835.60 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर लिया है।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में छिबरो, खोदरी, ढकरानी, धरासू (मनेरी भाली-2 परियोजना), खटीमा एवं गलोगी विद्युत गृहों से निगम बनने के बाद सर्वाधिक उत्पादन किया गया।
- यूजेवीएनएल ने प्रदेश सरकार को इस वर्ष अब तक 40.01 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है।
- यूजेवीएन वैकल्पिक ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) में 26 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं डाकपत्थर, ढकरानी और पथरी में स्थापित की गई हैं। इस वर्ष अब तक इनसे 25.63 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर लिया गया है।
- यूजेवीएन ने जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित कालीगंगा-प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना को जुलाई 2020 में परिचालित कर दिया है। वर्तमान में परियोजना से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
- नई परियोजनाओं के निर्माण की दिशा में 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना का कार्य शुरू होने जा रहा है। 120 मेगावाट क्षमता की व्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू हो गया है।
29 साल से अटकी लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना को मंजूरी
ऊर्जा प्रदेश की ऊर्जा अब और बढ़ने जा रही है। करीब 29 साल से ठप पड़ी लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना को केंद्रीय वित्त समिति की मंजूरी मिल गई है। उत्तराखंड सरकार के अथक प्रयासों की बदौलत ऊर्जा प्रदेश की क्षमता बढ़ाने का सपना साकार होने जा रहा है। 300 मेगावाट की इस परियोजना से एक ओर जहां प्रदेश में बिजली की किल्लत दूर होगी, वहीं उत्तराखंड केंद्रीय पूल को भी अतिरिक्त बिजली उपलब्ध करा सकेगा। इसके अलावा इस परियोजना से उत्तराखंड समेत पांच अन्य राज्यों को भरपूर पानी उपलब्ध होगा। जिससे उक्त राज्यों की सिंचाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
उत्तराखंड को भरपूर बिजली, पांच राज्यों को पानी
लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना का सपना वर्ष 1976 में देखा गया था। केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद कार्य शुरू हुआ, लेकिन महज 30 प्रतिशत कार्य होने के बाद परियोजना का काम वर्ष 1992 में विभिन्न कारणों से रोक दिया गया था। 300 मेगावाट की इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरणीय स्वीकृति की दरकार थी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तमाम सरकारों ने इस ओर यथासंभव प्रयास नहीं किए। हालांकि करीब पांच साल पूर्व उत्तराखंड में भाजपा सरकार आने के बाद लखवाड़ को मंजूरी दिलाने के लिए अथक प्रयास किए जाने लगे। केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार का नतीजा है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर उतारने का सपना पूरा होने की ओर अग्रसर है। परियोजना की कुल पुनरीक्षित लागत 5949.17 करोड़ (2018 के अनुसार) जल संसाधन मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार समिति की 141वीं बैठक में 2019 में स्वीकृत हो चुकी है। जिसमें जल घटक के 4673.01 करोड़ लागत का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत लाभान्वित राज्य वहन करेंगे। उत्तराखंड सरकार को एक हजार करोड़ के करीब बजट हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट पर करना है।
नवीनीकरण और उच्चीकरण से बढ़ी ताकत
राज्य में संचालित जलविद्युत परियोजनाएं जो अपनी आयु पूर्ण कर चुकी हैं उन्हें नया जीवन प्रदान करने की तैयारी है। इसके लिए नवीनीकरण, उच्चीकरण एवं आधुनिकीकरण (आरएमयू) की तर्ज पर तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। ऐसी परियोजनाओं से उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 51 मेगावाट के ढालीपुर और 90 मेगावाट के तिलोथ विद्युत गृहों के आरएमयू के कार्य प्रगति पर हैं। साथ ही 144 मेगावाट के चीला विद्युत गृह के कार्यों का आवंटन बीते जनवरी में किया गया और 33.75 मेगावाट के ढकरानी विद्युत गृह के आरएमयू की प्रक्रिया गतिमान है।
किसाऊ परियोजना से मिलेगा सिंचाई व्यवस्था को बल
किसाऊ बहुउद्देशीय परियोजना (660 मेगावाट) के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ संयुक्त रूप से किसाऊ कारपोरेशन का गठन कर किया गया है। इस परियोजना से सिंचाई और घरेलू व औद्योगिक उपयोग के लिए 617 एमसीएम पानी की उपलब्धता होगी। जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच समझौते के अनुसार हिस्सेदारी दी जाएगी। इसके अलावा 12 मेगावाट की तांकुल, 15 मेगावाट की पैनागाड, 12 मेगावाट की जिम्मागाड, चार मेगावाट की कंचौटी व 1.2 मेगावाट की कूलागाड लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के कार्य भी गतिमान हैं।
संकट की घड़ी में ऊर्जा निगम ने दी राहत
देहरादून: ऊर्जा निगम भी इस साल नई उम्मीदों और लक्ष्यों के साथ आगे बढऩे की योजना बना रहा था, लेकिन शुरुआत में कोरोना का ‘अंधकार’ विश्वभर में फैलने लगा। ऐसे में उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। तमाम कारोबार काफी समय तक ठप रहे। रोजगार और आय चुनौती बन गई। ऐसे में ऊर्जा निगम ने भी संकट की इस घड़ी में उपभोक्ताओं को राहत दी। होटल, रेस्तरां और ढाबों आदि व्यवसायिक उपभोक्ताओं को अप्रैल से जून की अवधि के बिलों में फिक्स्ड चार्ज में छूट दी गई। इसके अलावा सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को भी आनलाइन माध्यम से अंतिम देय तिथि तक भुगतान करने पर एक प्रतिशत की छूट प्रदान की गई। हालांकि, अब ऊर्जा निगम कोरोना काल में घटी आय को सुधारने का प्रयास कर रहा है। आपूर्ति सुधार के साथ ही व्यय घटाने की भी कवायद चल रही है। आगामी वर्ष में लंबित योजनाओं के कार्यों को तेजी से पूरा करने की तैयारी है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक प्रयास की योजना
ऊर्जा निगम की ओर से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में भी व्यापक प्रयास करने की तैयारी है। वर्तमान में रूफ टाप सोलर फेज-2 योजना के तहत घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को सोलर प्लांट लगाने पर प्रथम तीन किलोवाट पर 40 प्रतिशत और चार से दस किलोवाट पर 20 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। सोलर प्लांट स्थापित कर उपभोक्ता विद्युत बिल की धनराशि भी कम करा सकते हैं। सौर ऊर्जा नीति के तहत प्रदेश में अब तक कुल 272 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। वहीं कुल 203 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं 253 स्थायी निवासियों को आवंटित की गई हैं, जिनका कार्य प्रगति पर है।