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भास्कर समाचार सेवा
रुड़की। विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलसचिव व हिंदी भाषा के साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने विश्व हिंदी दिवस पर कहा कि अब हिंदी उपेक्षित नही बल्कि दुनिया की भाषा के रूप में स्वीकार्य हो रही है, जो एक शुभ संकेत है। विश्व हिंदी दिवस पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हिंदी एक कैरियर के रूप में देखी जाती है। जापान की युवा पीढ़ी तो दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत मे व्यापार के लिए हिंदी सीखने को जरूरी मानते है। तभी तो जापान में हिंदी सीखने के लिए हर विश्वविद्यालय व कालेज में हिंदी विभाग खुल गया है, जहां हिंदी पढाने के लिए भारतीय अध्यापको की सेवाएं ली जा रही है। श्रीगोपाल नारसन के शब्दों में, हिंदी भारत में लगभग 4.25 करोड़ लोगों की पहली भाषा है और करीब 12 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा है। हिंदी का नाम फारसी शब्द हिंद से लिया गया है, जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि है। सन 2016 में नेपाल के कुछ सांसदों ने हिंदी भाषा को एक राष्ट्रीय भाषा के रूप में शामिल करने की मांग की थी, जो आज तक पूरी नही हो पाई। इसी तरह संयुक्त राज्य अमेरिका हिंदी भाषी लोगों के तीसरे सबसे बड़े समूह का देश है। संयुक्त राज्य में हिंदी के मूल वक्ता बहुत कम हैं, जिनमें से अधिकांश भारत के अप्रवासी हैं। मॉरीशस के एक तिहाई लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। हिंदी न्यूजीलैंड में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, दोनों देशों के बीच बढ़ते सांस्कृतिक संबंध हिंदी अपनाने की बड़ी वजह है।