
हरैया /बस्ती। कई दिनों से चल रहे घने कुहरा और गलन के साथ दो दिनों से बिगड़े मौसम के मिजाज के चलते दिन भर हड्डियों को बींथ देने वाली चल रही पछुआ हवा और बदली के चलते जहां लोगों को कंपा कर रख दिया है तो वही पूरी रात चली बरसात से आलू और सरसों की फसलों को बर्बाद कर दिया तो गेहूं के लिए वरदान साबित हुई है।
कई दिनो से चल रहे घने कुहरा के चलते जहां बाहनो की रफ्तार थम गई है तो वहीं गुरुवार और शुक्रवार को दिन भर जहां बदली छाई रही तो ही तेज पछुआ हवा ने जहां सर्द को बढ़ा दिया जिसके चलते जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो वहीं लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत पशुपालकों के लिए उन्हें अपने पशुपालकों को पशुओं को इस भीषण ठंड से बचाने के लिए लिए है। पशुपालक पुआल या फिर गन्ने की पत्तियों को पशुशाला में डाल कर कर उन्हें अपने पालतू पशुओं को ठंड से बचाना पड़ रहा है ।वही हड्डियों को भी बींथ देने वाली चल रही हवाओं के कारण लोगों को बेहाल कर दिया है। आलम यह था कि पूरा दिन लोग या तो रजाई में दुबके रहे या फिर अलाव के सामने बैठकर गप्पे लड़ा कर अपना दिन काट रहे हैं। वहीं देर रात हवा के साथ हुई बरसात ने किसानों की सरसों तथा आलू की फसलों को बर्बाद कर दिया है ।
किसान रघुनाथ ,गंगाराम ,रामकुमार, रामचरन, जगदंबा सहित अन्य का कहना है की हवाओं के कारण जहां सरसों की फसलें जमींदोज हो गई हैं वहीं जलभराव के कारण आलू की फसलें अब बर्बाद हो जाएंगे ।कारण आलू बहुत जल्दी ही पानी के कारण सड़ने लगता है। फिलहाल दो दिनों से चल रहे ठंडी हवा और बदली तथा बरसात के कारण लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई है।सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें है
जिनके घर शादियां होनी है उनके और दिक्कतें आ गई हैं कि इस बरसात मे मेहमानों को कहां पर ठहरायें। शहरों मे तो बारात घर है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में घर आने वाले मेहमानों को ठहराना मुसीबत का सबब बन गया है। सबसे ज्यादा बेहाल छुट्टा जानवर है जो ठंड और बरसात से बचने के लिए शरण ढूंढते हुए फिर रहे है।