हिन्दू धर्म में मंगलसूत्र पहनने का यह नियम परंपरागत तौर पर सदियों से चला आ रहा है। इसके पीछे मंगलसूत्र में मौजूद चमत्मकारी गुण का होना है। मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं। हिन्दू धर्म में महिलाओ के लिए विशेष नियम बनाये गए है। हिन्दू मान्यताओं में सुहागिन स्त्रियों के लिए यह दोनों ही श्रृंगार करना बहुत जरूरी माना ही गया है लेकिन साथ ही साथ कुछ ऐसे नियम भी हैं जिन्हें स्वीकारा जाता है। तो आइये जानते है इसके बारे में –
# बात करें सिंदूर की तो ऐसा माना जाता है कि स्त्री को अपना सिंदूर किसी को नहीं देना चाहिए और ना ही उसे किसी अन्य स्त्री का सिंदूर उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से विवाहित जीवन में खलल पैदा होती है।
# ऐसी मान्यता है कि विवाहित स्त्री को कभी अपने गले का मंगलसूत्र नहीं उतारना चाहिए, अगर कभी किसी मजबूरी में ऐसा करना भी पड़े तो उसे अपने गले में कोई काला धागा पहन लेना चाहिए।
# सुहागिन स्त्री को कभी किसी अन्य महिला का मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए, ऐसा करना विवाहित जीवन में तनाव का कारण बनता है।
# मंगलसूत्र में काले मोती होना बहुत जरूरी है, यह पति की रक्षा करता है, उसे बुरी नजर से बचाता है। साथ ही मंगसूत्र में सोने का होना भी आवश्यक है, यह बृहस्पति की कृपा का प्रतीक है।
# कुछ महिलाएं एक ही मंगलसूत्र को कई वर्षों तक पहने रखती हैं, जबकि अगर आपका मंगलसूत्र कहीं से टूट गया है या खंडित है तो आपको उसे बदल लेना चाहिए क्योंकि यह अशुभ फल देने लगता है।
# अगर मंगलसूत्र की पॉलिश निकल गई है या वह काला पड़ने लगा है तो आपको उसे दोबारा साफ और सही करवाने के बाद ही पहनना चाहिए, अन्यथा आपके पति की सेहत खराब हो सकती है।
# मान्यताओं के अनुसार अगर सुहागिन स्त्रियां अपने मंगसूत्र का अनादर करती हैं तो इससे उनका विवाहित जीवन खराब होता है और पति की आयु पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जानिए मंगलसूत्र से जुडी इन बातो को
बुरी नजर से बचाता है मंगलसूत्र
विवाह के समय दुल्हन पर सबकी नजर टिकी होती है। इससे दुल्हन को नज़र लगने का भय रहता है। मंगलसूत्र में पिरोए गये काले मोती से काल यानी अशुभ शक्तियां दूर रहती है। मंगलसूत्र बुरी नज़र से रक्षा करता है इस मान्यता के कारण विवाह के समय दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाया जाता है। मंगल सूत्र के विषय में यह भी मान्यता है कि इससे पति पर आने वाली विपत्तियां दूर होती है।
पति के प्रति प्रेम का चिह्न
मंगलसूत्र में सोने का पेंडेंट लगा होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्वर्ण धारण करने से शरीर शुद्ध होता है। स्नान के समय सोने का स्पर्श करके जो पानी शरीर पर गिरता है उससे पापों से मुक्ति मिलती है। मंगलसूत्र में मोर का चिन्ह बना होता है जो पति के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। पेंडेंट पर कुछ अन्य चिह्न भी बने होते हैं जो बुरी नज़रों से बचाने वाले माने जाते हैं।
निष्ठा बढ़ाता है मंगलसूत्र
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है। गुरू ग्रह को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का कारक माना जाता है। यह धर्म का कारक भी है। काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है। गुरू और शनि के बीच सम संबंध होने के कारण मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन में सुख एवं स्थायित्व लाने वाला माना जाता है।