बहराइच : एम्स गोरखपुर के प्रशिक्षकों ने स्टाफ नर्स को बताया स्तनपान के फायदे

23.3 प्रतिशत तक कम हो सकती है शिशु मृत्यु दर

बहराइच l जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू करने से शिशु को पीलिया सहित दूसरे संक्रमण से बचाया जा सकता है वहीं एनीमिया, ब्रेस्ट व ओवरी कैंसर के जोखिम से माँ को भी सुरक्षित किया जा सकता है। आंकड़े बताते हैं कि शिशु को पहले छह महीनों तक सिर्फ स्तनपान करवाने से देश में प्रतिवर्ष 25 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए यूनिसेफ़ व एम्स गोरखपुर के संयुक्त प्रयास से एएनएम व स्टाफ नर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है ।
यह बातें आगा खान फाउंडेशन और कनाडा फण्ड फ़ॉर लोकल इनिशिएटिव* के सहयोग से “ माँ “कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान एसीएमओ डॉ जयंत ने कही। 
एम्स गोरखपुर से आयी प्रशिक्षक नाज़मीन खान ने बताया जन्म के पहले घंटे के अंदर स्तनपान शिशु जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक होता है। पेडलैट्रिक्स 2006 के अनुसार जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान से 23.3 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। वहीं माँ का दूध एक दिन बाद शुरू कराने से शिशु मृत्यु की संभावना 2.4 गुना बढ़ जाती है। जबकि माँ के दूध के अलावा ऊपरी दूध पर आधारित कोई भी तरल आहार देने से शिशु मृत्यु की संभावना चार गुना तक बढ़ जाती है। 
जानवर का दूध शिशु के विकास में बाधक
प्रशिक्षक उषा दूबे ने बताया जन्म से छह माह तक शिशु को केवल माँ का दूध देना चाहिए। यह उसे  प्रौढ़ावस्था तक शुगर सहित अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है। उन्होने बताया माँ के दूध में लैक्टोस की मात्रा अधिक होती है। लैक्टोस सुपाच्य होता है जिससे शिशु को बार-बार भूख लगती है और वह अधिक बार माँ का दूध पीता है जिससे उसका विकास तेजी से होता है। जबकि गाय, बकरी या भैंस के दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है । प्रोटीन का पाचन देर में होता है जिससे शिशु को भूख देर में लगती है, वह देर तक सोता रहता है इससे विकास की गति धीमी हो जाती है। इसके अलावा माँ के दूध में शिशु के लिए जरूरी फैटी एसिड लाइपेस एंजाइम होता है, जबकि गाय के दूध में इस प्रकार के एंजाइम नहीं पाये जाते।
भ्रम की वजह से देते हैं गाय बकरी का दूध
डीएचईआईओ बृजेश सिंह ने बताया जन्म के तुरंत बाद पीला गाढ़ा दूध शिशु जन्म से लेकर तीन दिन तक आता है, शुरुआत में इसकी मात्रा बहुत कम होती है। इसी भ्रम में कुछ माताएँ शिशु को ऊपर से गाय या बकरी का दूध पिला देती हैं। जबकि यह नए जन्मे शिशु के लिए पर्याप्त होता है और उसकी आवश्यकता अनुसार बढ़ता रहता है।
जन्म के तुरंत बाद बनने लगता है दूध
प्रशिक्षक आईएम ओझा ने बताया यह महज एक भ्रांति है कि तीन दिन बाद दूध आता है। दूध बनने की प्रक्रिया जन्म के तुरंत बाद शुरू हो जाती है।  दूध बनना माँ के शरीर पर निर्भर नहीं करता । बल्कि यह पूरी तरह माँ के मस्तिष्क पर निर्भर होता है । जैसे ही शिशु माँ के स्तन से लगता है ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन्स के कारण दूध का बनना शुरू हो जाता है। इस मौके पर डीसीपीएम मो0 राशिद , यूनिसेफ के डिवीज़नल रिसोर्स पर्सन डॉ प्रफुल्ल सहित आगा खान के कार्यकर्ता मौजूद रहे ।

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