
कोरोना महामारी के बाद तकरीबन 600 से ज्यादा दिनों बाद जब पूरी तरह छोटे बच्चों के स्कूल खुले तो उनके चेहरे खिले हुए थे। लंबे अरसे बाद स्कूलों में पहुँचे बच्चे जहाँ बेहद खुश थे वहीं काफी चीजें बदल चुकी थीं। बच्चे अपने दोस्तों को देख कर काफी हैरान भी थे। क्योंकि तकरीबन सभी दोस्त काफी बदल चुके थे। कुछ लंबे हो गये थे तो कुछ पहले से मोटे दिखने लगे थे। काफी समय के बाद मिले दोस्तों ने आपस में खूब लंबी बातचीत की और अपने कोरोना काल के दिनों की यादों को साझा किया कि किस तरह घरों में दिन गुजारे।
कम रही छात्रों की संख्या
स्कूल खुल तो गये लेकिन छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रही। अभिभावक अब भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। हालांकि स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन बच्चों की संख्या बढ़ती रहेगी।
कोविड के कारण सीखने-सिखाने का हुआ नुकसान
हालांकि लंबे समय से स्कूलों के बंद रहने का नुकसान भी दिखने लगा है। छात्रों के सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में जो कुछ पढ़ाया गया वो तो याद नहीं रख सके वहीं कोरोना के पहले की कक्षाओं में जो कुछ सीखा था उसे भी भूल चुके थे। शिक्षकों ने जब क्लास के दौरान बच्चों से कोर्स से संबंधित साधारण सवाल किये तो कई बच्चे सवालों का जवाब नहीं दे सके।
ऑनलाइन पढ़ाई नहीं आयी काम
जबकि कोरोना के चलते स्कूल बंद होने से पहले यही बच्चे इन सवालों का जवाब आसानी से दे देते थे। शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के दौरान भी जो चीजें पढ़ाई गयी थीं वो भी वे न तो ठीक से समझ सके हैं और न ही उन्हें याद है। ऐसे में अब शिक्षकों के सामने भी दुविधा बढ़ गयी है कि वो अागे की पढ़ाई कराएं या पिछला पाठ्यक्रम दोहराएँ।