
30 हजार प्रधानमंत्री आवासों में 40 फीसद से ज्यादा अधूरे
लाभार्थियों को किश्तों का बेसब्री से है इंतजार
पन्नी व तिरपाल के सहारे काट रहे दिन-रात
भास्कर न्यूज
बांदा। जनपद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले गरीबों के आशियाने चुनाव के फेर में फंस गए हैं। अधिकारी और कर्मचारी चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं। जबकि गरीब आवास की किश्त का इंतजार कर रहे हैं। 30 हजार पीएम आवास बनाने का लक्ष्य है। इसमें अभी 40 फीसद से ज्यादा अधूरे हैं। ऐसे में गरीबों की रात इस भीषण सर्दी में पन्नी के सहारे कट रही हैं।
जनपद में विधानसभा चुनाव की दुंधभी बजते ही गरीबों के आशियानों पर संकट खड़ा हो गया है। अधूरे पड़े हजारों की संख्या में प्रधानमंत्री आवास गरीबों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। जनपद में पिछले वित्तीय वर्ष में गरीबों को 14227 आवासों का लक्ष्य मिला था। इसमें से 88 फीसद आवास बनाकर तैयार होने का दावा किया जा रहा है। जबकि इसमें अधिकांश आवास पूरे नहीं हैं। जबकि इस वित्तीय वर्ष में 16618 आवास बनाने का लक्ष्य मिला है। इनमें सभी लाभार्थियों को चयनित कर लिया गया है, लेकिन 3281 पीएम आवास लाभार्थियों को ही तीन किश्तें मिल पाई हैं। बाकी के लाभार्थी किश्तों का इंतजार कर रहे हैं। लाभार्थियों का कहना है कि आवास की पहली किश्त मिली है, जिससे लिंटर स्तर तक तो कहीं नींव स्तर तक का काम हो गया है। अब आगे की किश्तें नहीं आ रही हैं। सचिव और ग्राम प्रधान विधानसभा चुनाव के बाद ही किश्त भेजने की बात कह रहे हैं। वहीं लाभार्थियों का कहना है कि पीएम आवास के चक्कर में उन्होंने अपने छप्पर वाले घर भी ढहा दिए हैं। ऐसे में छत की जगह पन्नी डालकर काम चला रहे हैं। सर्दी भरी रातें मुश्किलों के बीच गुजारनी पड़ रही हैं। उधर, मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्या का कहना है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत अधूरे आवासों को पूर्ण कराने के लिए सभी खंड विकास अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है। चुनाव की जिम्मेदारी के साथ आवासों को भी गंभीरता से लेना होगा।
हर रोज 200 आवास पूर्ण करना चुनौती
मुख्य विकास अधिकारी ने सभी खंड विकास अधिकारियों को हर रोज 200 पीएम आवास पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं। ताकि वित्तीय वर्ष खत्म होने के पहले आवासों का निर्माण लक्ष्य पूरा हो सके। हालांकि खंड विकास अधिकारी आवासों को लेकर गंभीर नहीं हैं। मौजूदा आंकड़ों की मानें तो इस समय 100 से कम भी आवास बनाने का औसत है।