
भास्कर ब्यूरो
अमौली/फतेहपुर। चाँदपुर क्षेत्र का प्राचीन मंदिर गुढ़ेश्वर अखण्ड धाम अनेक चमत्कारी घटनाओ को संजोए हुए है। यह मंदिर क्षेत्र के लोगो का आस्था का केंद्र बना हुआ है, इस मंदिर से जुडी कई कथाएं है कहा जाता है कि इस मंदिर की चौखट में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नही लौटता। सच्चे मन से मंदिर में माथा टेकने वाले भक्तो को निराशा नही मिलती है। हर वर्ष महाशिव रात्रि को हजारो की संख्या में गैर जनपदों से दूर दूर से भक्त महाशिवरात्रि का पर्व मनाने लोग यहां आते हैं।
इस पावन धाम में शिवरात्रि के दिन भोले बाबा को मनाने के लिए सभी भक्त ढोल, बाजे के साथ नाचते गाते शिवभक्ति में लीन, बेल पत्र और जल के साथ शिवलिंग में चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। शिवरात्रि के इस महापावन पर्व क्षेत्र पर जगह जगह भोलेनाथ का प्रसाद का वितरण होता है। प्रसाद के रूप में भगवान भोले नाथ की सबसे पसंद भांग और दूध, मिश्रित कर उसे चखकर भक्त झूमते हुए अपने गंतव्य स्थान को जाते हैं।
कब हुआ गूढ़ेश्वर अखण्ड धाम मंदिर का निर्माण
बताया जाता है कि कई सौ वर्ष पहले चाँदपुर में मथुरा सेठ नाम का एक ब्यक्ति रहता था। जिसके पास एक गाय थी उसकी गाय को एक चरवाह प्रतिदिन जंगल में चराने ले जाता था। गाय को सारा दिन जंगल में चराने के बाद घर ले आता था लेकिन घर लाने के बाद शाम को गाय का सारा दूध दुहा हुआ मिलता था। जिससे मथुरा सेठ चरवाह से शिकायत करता की तुम मेरी गाय का रोज दूध क्यों निकाल लेते हो। चरवाह बड़ा आश्चर्य मे होता है कि मैं दूध निकालता नही, आखिर ऐसा कौन है जो प्रतिदिन सेठ की गाय का दूध निकाल लेता है।
भक्त आज करेगें बाबा का जलाभिषेक
वहीं बहुत दिनों तक यह रहस्य ऐसे ही चलता रहा। एक दिन चरवाह गाय का पीछा करते हुए पंहुचा तो देखा की गाय एक झाड़ी के पास खड़ी होकर अपना दूध गिरा रही है तभी यह खबर मथुरा सेठ को चरवाह बताता है। मथुरा सेठ लोगो को लेकर वहाँ पहुँचे तो देखा की जहाँ गाय रोज अपना दूध गिरा जाती थी वहाँ एक शिवलिंग है, सेठ उसकी खुदाई करवा कर शिवलिंग को निकलवाना चाहते थे लेकिन शिवलिंग का अंत नही मिला। जिसके पश्चात् उन्होंने घने जंगल में पूजा अर्चना कर एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया।
इस अदभुत घटना के बाद धीरे धीरे यह मंदिर आस्था का प्रतीक बन गया। इस मंदिर में आस्था से आये हुए सभी भक्तो की मनोकामना पूरी होने लगी। तभी सभी क्षेत्र के लोगो के सहयोग से मंदिर और आश्रम का निर्माण कराया गया। आज भी अनवरत कार्य इस पावन धाम में चल रहा है। तभी से गूढ़ेश्वर अखण्ड धाम में शिवरात्रि के दिन शिवलिंग में भव्य श्रृंगार कर मेले का आयोजन किया जाता है। दूर दराज से आये हुए दुकानदार भी इस पावन धरती पर आकर मेले का लुप्त उठाते है।