
यूक्रेन में बमबारी के बीच से जान बचाने कर वंसत विहार करनाल निवासी हरप्रीत वतन लौट आया है। हॉस्टल के पास हुई बमबारी और फायरिंग के दौरान जान का खतरा हुआ, लेकिन वह जान बचा हथेली पर रखकर गोलीबारी के बीच वहां से निकले और उन्हें दूसरे देश में एंट्री मिली। इस तरह उन्हें अपने देश लौटने की कामयाबी मिली।
हरप्रीत का कहना है कि वह ओडेसा में रहता था। हॉस्टल के पास ही बमबारी हुई, फायरिंग हुई। हालात बिगड़े तो सभी साथियों ने आपस में विचार विमर्श किया कि यहां पर जान का खतरा है, क्यों न कुछ खतरा मोल लेकर यहां से बाहर निकला जाए। 23 युवक अलग-अलग व्यस्था करके मोलदोवा पहुंचे, जहां उन्हें एंट्री मिल गई।
वहां समाज सेवा में लगे लोगों ने उनकी मदद की। मोलदोवा से वे रोमानिया पहुंचे। सबसे पहले रोमानिया में घुसने वाले हमारा ग्रुप था। चर्नीविसी बॉर्डर से नजदीक पड़ता है। 150 किलोमीटर का ट्रैफिक है। कीव से जाने वालों को एंट्री मिलनी मुश्किल हो रही है। भारत सरकार लगातार फ्लाइटों की व्यवस्था करके युवाओं की मदद कर रही है।
कम हाजिरी वालों के नहीं लेते एग्जाम
हरप्रीत ने बताया कि यूक्रेन में पढ़ाई के नियम काफी कड़े हैं। 95 प्रतिशत हाजिरी होने पर भी एग्जाम नहीं होने देते। हमने 5 साल वहां पर लगाए हैं। बमबरी के डर से हम वहां से भागे हैं। अब भविष्य को लेकर भी दिक्कत है। हमारी ऑनलाइन क्लास आज भी चल रही है।
यूनिवर्सिटी ने 25 फरवरी तक क्लासें लगाई रखीं। यदि पहले क्लास ऑनलाइन रख लेते तो हम वहां पर नहीं फंसते। समय से पहले ही निकल आते। सुनने में आया कि यहां पर प्राइवेट कॉलेजों में उनकी कक्षाओं के अनुसार कोर्स स्टार्ट कर देंगे। ऐसा हो जाए तो बहुत ही बढ़िया होगा।
अचानक डरावना माहौल हुआ तो बनी चिंता
हरप्रीत के पिता पवन कुमार का कहना है कि हमने अपने बच्चे को एमबीबीएस करने के लिए भेजा था। पांच साल पहले गया था। अब अचानक डरावना माहौल हो गया। कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। सरकार से गुहार है कि बच्चों को वहां से निकाला जाए। वहां रहना मुश्किल हो गया है।
सभी के बच्चों को वापस लाया जाए। हम आस लगाए बैठे थे कि 1 साल बाद तो बेटा एमबीबीएस कर लेगा। एंबेसी में बार-बार कॉल की गई, लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाई। सरकार हमारे बच्चों के पांच साल को बेकार नहीं जाने देगी। उनके लिए कुछ न कुछ व्यवस्था जरूर करेगी।
हर मां का बेटा लौटे वापस
हरप्रीत की मां सरोज का कहना है कि सरकार से मेरी प्रार्थना है कि जैसे मेरा बेटा घर पहुंचा है। ऐसे ही हर मां का बेटा घर पर पहुंचे। मेरे बेटे ने बहुत हौंसला दिखाया। हमें भी हिम्मत देता रहा।