रैपिड रेल के लिए दो डिपो और एक स्टेब्लिंग यार्ड तैयार किया जाएगा. साहिबाबाद से दुहाई के बीच के सेक्शन के मार्च 2023 तक चालू होने की उम्मीद है और इस पर ट्रायल इसी साल शुरू होने की संभावना है. संपूर्ण कॉरिडोर के 2025 तक खोले जाने की उम्मीद है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रीय परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर 14,000 से अधिक कामगार और 1100 इंजीनियर काम कर रहे हैं.
अब तक 18 किमी प्राथमिकता वाले सेक्शन में 1400 खंभों का निर्माण हो चुका है. साथ ही कॉरिडोर में फाउंडेशन का काम भी 80 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं दिल्ली और मेरठ के बीच देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के निर्माण के लिए आनंद विहार में टनल बनाने का काम शुरू हो गया है. इस प्रक्रिया में करीब 90 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ने दिल्ली में आनंद विहार से न्यू अशोक नगर तक एक टनल खोदने का काम शुरू कर दिया है.
6.6 मीटर व्यास के साथ आरआरटीएस टनल देश में अन्य मेट्रो सिस्टम की तुलना में बड़ी है क्योंकि आरआरटीएस ट्रेनों की रफ्तार 180 किमी प्रति घंटे होगी. आनंद विहार से न्यू अशोक नगर के बीच टनल की लंबाई करीब तीन किलोमीटर होगी. आनंद विहार स्टेशन पर चार टीबीएम लगाई गई हैं. इसमें दो मशीनें आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर खुदाई करेंगी जबकि दो अन्य आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर खुदाई करेंगी. टीबीएम आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर दो किमी लंबी टनल खोदेगी.
आरआरटीएस के अंडरग्राउंड सेक्शन के लिए दो अलग-अलग टनल होंगी, एक ट्रेनों के जाने और एक आने के लिए. यह व्यवस्था आपातकाल में यात्रियों के निकासी के मद्देनजर की गई है. इतना ही नहीं, हर 250 मीटर पर निकासी की व्यवस्था होगी. टनल को इस तैयार से तैयार किया जा रहा है कि ये 100 साल तक सुरक्षित रहे.