लालकुंआ सीट को लेकर हरीश रावत की बढ़ी धड़कने…प्रतिष्ठा के सावलों पर खड़ी कांग्रेस   

लालकुंआ विधानसभा चुनाव 2022। यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों का परिणाम आज आने वाला है, जिसे लेकर सभी प्रत्याशियों के मन में उथल-पुथल मची हुई हैं। वहीं कांग्रेस की चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की विधानसभा सीट लालकुंआ पर सबकी निगाहे टिकी हुई हैं। क्योंकि कांग्रेस ने इस बार इतनी मेहनत की, कि उस अपनी मेहनत पर इतना भरोसा है कि वो इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना ही है। बस इसलिये हरीश रावत की लालकुंआ वाली सीट पर सबने अपनी निगाहे टिका रखी है।

लालकुंआ सीट बनी हरीश रावत के लिये चुनौती

बता दे हरीश रावत का चयन भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा है। पहले रामनगर सीट से टिकट मिलना और उसके बाद अचानक टिकट बदलकर लालकुंआ भेजना हरीश रावत के लिए इस बार बड़ी चुनौती बन गई है। यही वजह है कि ये सीट ना सिर्फ पूर्व सीम रावत बल्कि कांग्रेस के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है।

लालकुंआ सीट पर शुरुआत दो घंटे रुझान की बात करें तो यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत पीछे चल रहे हैं। दरअसल वे पहले रामनगर सीट से चुनाव लड़ने वाले थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उनकी सीट बदलकर लालकुंआ कर दी गई है।

कांग्रेस-रावत के सामने बड़ी चुनौती

कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद टिकट कट जाने से नाराज हुईं पूर्व ब्लाक प्रमुख संध्या डालाकोटी ने भी ‘ महिला के अपमान में संध्या डालाकोटी मैदान में ‘के स्लोगन के साथ अपना निर्दलीय नामांकन करके कांग्रेस बागी के रूप में हरीश रावत के सामने चुनौती पेश कर दी। ऐसे में कांग्रेस और रावत के सामने बड़ी चुनौती है।

हरीश की किस्मत का फैसला करेगी लालकुंआ सीट हरीश रावत के सामने बीजेपी से बड़ी चुनौती अपने परिवार को संभालने में आ रही है। लालकुंआ से संध्या डालाकोटी को टिकट देना और फिर काट देना हरीश रावत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। जो कि इस सीट पर हरीश रावत की किस्मत का फैसला करने जा रही है। हरीश रावत के लिए राहत की बात ये है कि पुराने दिग्गज हरीश दुर्गापाल और हरेन्द्र बोरा इस समय रावत के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं।

25 हजार से अधिक वोट लेकर निर्दलीय चुनाव जीते

दोनों बतौर निर्दलीय यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। दुर्गापाल 2012 में 25 हजार से अधिक वोट लेकर यहां निर्दलीय चुनाव जीते थे। 2017 में दुर्गापाल को टिकट मिलने पर हरेन्द्र बोरा ने बगावत की और उन्हें 14,709 से अधिक वोट मिले थे। लेकिन हरीश रावत को इस बात का एहसास है कि लालकुंआ जीतना उनके लिए आसान नहीं है, इसकी वजह से हरीश रावत पिछले लंबे समय से लालकुंआ में ही ज्यादा समय बिता रहे हैं।

बीजेपी के नवीन दुमका से मुकाबला

हरीश रावत के सामने निर्दलीय के अलावा बीजेपी के मजबूत दावेदार हैं। भाजपा ने अपने सिटिंग विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर बीजेपी से निष्कासित रहे मोहन बिष्ट पर भरोसा जताया। जो कि काफी मजबूत बताए जा रहे हैं।

लालकुंआ पर बना जातिगत मुद्दा

लालकुंआ सीट पर करीब 42 परसेंट ब्राह्मण मतदाता हैं, ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 33 परसेंट है। हालांकि एससी और अल्पसंख्यक मतदाता ही यहां हार जीत तय करेंगे। लालकुंआ सीट पर एक बार निर्दलीय और एक बार बीजेपी का कब्जा रहा है।

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