
मध्यप्रदेश विधानसभा में 2022-23 का बजट पेश होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसको लेकर बहस शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ बीजेपी इसे सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी होने का दावा कर रही है तो कांग्रेस नेताओं ने इसे झूठ का पुलिंदा बताया है। दरअसल, बजट के जरिए सरकार अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसे ध्यान में रखते हुए बजट में समाज के हर तबके के लिए कुछ न कुछ प्रावधान किए गए हैं।

1. किसानों पर मेहरबान शिवराज सरकार
प्रदेश में किसानों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है। भले ही मोदी सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस लेकर किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है, लेकिन शिवराज सरकार ने इस वर्ग के लिए बजट में सबसे ज्यादा 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान कर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया है।
प्रदेश में फिलहाल 43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मौजूद है। बजट में इसे साल 2025 तक बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। सरकार कृषि निर्यात योजना की शुरुआत भी करेगी। इसके अलावा एक जिला, एक उत्पाद योजना के अंतर्गत जिलों में किसी एक फसल के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा

2. ‘कन्यादान’ व लाडली लक्ष्मी योजना री-लॉन्च
बजट में कन्यादान और लाडली लक्ष्मी योजना का दूसरा चरण शुरू करने की बात कही गई है। इसके लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा। स्व-सहायता समूहों को आसानी से लोन मिल सके, इसके लिए उन्हें नए क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। इससे प्रदेश की 2 करोड़ 58 लाख से ज्यादा महिला वोटर्स को साधे रखने की कोशिश की गई है।
प्रदेश में 41 लाख से भी अधिक लाडली लक्ष्मियां हैं। NHFS-5 सर्वे के अनुसार मध्यप्रदेश में जन्म के समय प्रति हजार बेटों पर बेटियों की संख्या बढ़कर 956 हो गई है। लाडली लक्ष्मी योजना में लगभग 1400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं, तीर्थ दर्शन योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने इसे बंद कर दिया था। बीजेपी सरकार इसे फिर से लागू करेगी और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त में तीर्थयात्रा कराएगी।

3. युवाओं के लिए 60 हजार नौकरियां
मध्यप्रदेश में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि एक साल में 6 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हुए हैं। इसको लेकर विपक्ष, सरकार को घेर रहा है। प्रदेश में युवा वोटर्स की संख्या 1 करोड़ 77 लाख से ज्यादा है। इस वर्ग की नाराजगी को दूर करने के लिए 60 हजार नौकरियां देने की बात कही गई है।
बजट में 13 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात कही गई है। छह हजार कॉन्स्टेबल की भर्ती के साथ प्राइवेट सेक्टर में 41 हजार नौकरियों का वादा बजट में किया गया है। पढ़ने-लिखने वाले युवाओं के लिए मेडिकल और नर्सिंग की सीटें बढ़ाने के साथ 46 ब्लॉक में ITI खोले जाएंगे। सिंगरौली में माइनिंग इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोला जाएगा।

4. साढ़े दस लाख कर्मचारी-पेंशनर्स को मिलेगा 31% महंगाई व राहत भत्ता
नए बजट को लेकर सबसे ज्यादा खुश सरकारी कर्मचारी ही हैं। उनको मिलने वाले महंगाई भत्ते में 11 प्रतिशत वृद्धि की गई है। केंद्रीय कर्मचारियों की तरह उन्हें भी अब 31 फीसदी महंगाई भत्ता मिलेगा। प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। जबकि 3 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को बड़ी राहत दी गई है, लेकिन पुरानी पेंशन लागू करने का ऐलान नहीं किए जाने से साढ़े तीन लाख से ज्यादा शिक्षक और अन्य विभागों के कर्मचारी सरकार से नाराज हैं। हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा है कि मौजूदा पेंशन योजना में कुछ संशोधन करने पर विचार किया जा रहा है।
5. दलित-आदिवासियों व ओबीसी पर फोकस
बजट के जरिए दलित-आदिवासी और ओबीसी को साधने की कोशिश की गई है। अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए विभिन्न विभागों की योजनाओं में वर्ष 2022-23 के लिए 26 हजार 941 करोड़ का प्रावधान है। 15 जनजाति कन्या महाविद्यालयीन छात्रावासों को नवीन भवनों में संचालित किया जाना प्रस्तावित हैं। राज्य में 43 समूहों वाले आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है, जो 230 में से 84 विधानसभा सीटों पर असर डालती हैं। 2018 में इसी फैक्टर ने BJP के हाथ से सत्ता चली गई थी। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 19 हजार 20 करोड़ रुपए बजट में रखे गए हैं। इस वर्ग के लिए 35 सीटें हैं। ओबीसी वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार मूलक आर्थिक सहायता के लिए 50 करोड़ का प्रावधान किया गया हे। इस वर्ग के लिए 1 हजार करोड़ से ज्यादा राशि सरकार एक साल में खर्च करेगी।
6. गांव की तरफ चली ‘सरकार’
बजट में ग्रामीण विकास पर फोकस किया है। प्रदेश की 5 करोड़ 25 लाख से ज्यादा (कुल आबादी का 67%) आबादी के लिए शिवराज सरकार ने 27,925 करोड़ का प्रावधान रखा है। पिछले बजट की तुलना में यह राशि 74% ज्यादा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 2,930 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके लिए विधायकों से 15 करोड़ के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव सरकार ने मांगे थे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार ग्रामीण इलाकों ज्यादा राशि खर्च करेगी। इसके उलट शहरी विकास के लिए बजट पिछले साल की तुलना में 1% कम कर दिया है। ऐसा पहली बार हुआ। इस बार शहरों की विकास योजनाओं के लिए 13,113 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
7. रोजगार-उद्यम क्रांति योजना पर फोकस
सरकार का फोकस स्व-रोजगार पर ज्यादा है। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार अब उद्यम क्रांति योजना को बड़े पैमाने पर लागू करने जा रही है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, आजीविका मिशन और प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना के तहत बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी तरह स्व-सहायता समूहों के लिए लागू योजनाओं के लिए बजट में 1 हजार करोड़ से ज्यादा राशि का प्रावधान किया गया है।
8. 11 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे
मध्यप्रदेश में 11 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। इनमें 11 हजार से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सरकार ने बजट में निर्माण से जुड़ी योजनाओं के लिए 42 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें ऊर्जा विभाग से संबंधित योजनाओं के लिए 16 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। जबकि सड़क व पुलों के लिए लोक निर्माण विभाग को साढ़े 5 हजार करोड़ से ज्यादा राशि दी जा रही है।
9. रामायण सर्किट प्रोजेक्ट लॉन्च करेगी सरकार
धर्मस्व विभाग को 88 करोड़ रुपए दिए गए हैं। राम वन गमन पथ न्यास का गठन करने के साथ ही रामायण सर्किट (राम वन गमन पथ) को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएगी। हालांकि बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की ओर से केंद्र को भेजे गए रामायण सर्किट को जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है। इसके बाद सरकार सप्लिमेंट्री बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान करेगी।
10. गरीबों के लिए धन की कमी नहीं
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि मजदूर और श्रमिकों के लिए धन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने इस वर्ग के लिए लागू की गई संबल योजना को बंद कर दिया था, जिसे फिर से अस्तित्व में लाया गया है। इस योजना के तहत 3 लाख 29 हजार हितग्राहियों को 2 हजार 742 करोड़ रुपए बांटे गए हैं। अब इस योजना को बड़े पैमाने पर लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ ही मनरेगा के लिए सरकार ने इस बार 3800 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया है।