
जोन 3 के बर्रा-6 स्थित तलाब को अपना बताकर अवैध तरीके से हो रहा निर्माण
कानपुर। उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं पर सख्त से सख्त कार्यवाई के लिए जानी जाने वाली योगी सरकार पर खुद कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी ही भारी पड रहे है। सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा मुक्त कराने का अभियान शहर में सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है। शहर के तालाबों व सरकारी जमीनों पर अधिकारी केवल कागजो पर कब्जे हटाकर अपनी पीठ भले ही थपथपा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण बर्रा-6 स्थित तालाब पर अवैध तरिके से प्लॉट काट कर भू-माफियाओ द्वारा बेचा जा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे प्रकरण की जानकारी कानपुर विकास प्राधिकरण के आला अधिकारियों के साथ-साथ मण्डलायुक्त को भी है बावजूद इसके उनकी मौन चुप्पी से यह प्रतीत होता है कि केडीए के अधिकारियों को योगी सरकार का कोई भय नही रहा। ऐसा भी नही है कि प्राधिकरण की करोड़ो रुपये की भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा कर प्लाटो के बेचे जाने की जानकारी अधिकरियो को प्राधिकरण को नही है। बर्रा-6 स्थित तालाब पर अवैध तरीके से की जा रही प्लॉटिंग की केडीए को पूरी जानकारी है। यहाँ तक कि अभिलेखों और केडीए द्वारा की गई जाँच में भी संबंधित भूमि का स्वामित्व केडीए का होना ही बताया गया है। लेकिन अधिकारी अपनी ही भूमि को अवैध कब्जेदारो से खाली नही करवा पा रहा है।
बता दे कि भू-माफियाओं द्वारा ने कर्मचारियों से सांठगांठ कर केडीए की खाली तालाब पर अवैध तरीके से कब्जा कर उस पर प्लाटिंग कर पहले तो खरीद फरोख्त करी, फिर उस पर अवैध रूप से निर्माण करवाया जा रहा। जिसके बारे में शिकायतकर्ता बर्रा निवासी दीन दयाल मिश्रा ने केडीए में सचिव शत्रोधन वैश्य को लिखित शिकायत 30 दिसंबर को की।जिसकी जांच उन्होंने अधिशाषी अभियन्ता जोन-3 को दी। अधिशाषी अभियन्ता जोन-3 ने अगवत कराया था कि उक्त जमीन पर पंगु यादव ने कब्जा कर लिया है जिसे मुक्त कराने हेतु नगर नियोजन एंव विकास अधिनियम 1973 यथा संशोधित धारा 1997 26 (क)4 धारा के अर्न्तगत प्रथम सूचना रिपोर्ट 30 जून, 2020 को करा कर ध्वस्तीकरण का आदेश कर दिया गया है ,लेकिन वह आदेश भी कागजो में सिमट कर रह गया। वही जब विगत वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही हुई तो शिकायतकर्ता ने मण्डलायुक्त डॉ. राजशेखर को 4 मार्च, 2022 को एक शिकायती पत्र देकर प्रकरण से अवगत कराया जिस पर उन्होंने जांच कर प्रकरण की 15 मार्च, 2022 तक जांच आख्या प्रेषित करने का निर्देश जारी किया। अधिकारियों के पास कागज केवल फाइलो में घूम रहा है जबकि पंगु यादव अवैध निर्माण कार्य कराने में जुटा हुआ है। केडीए विभाग की कई ऐसी लापरवाहियां है जिनके चलते शहर में कई सरकारी जमीनो पर भू माफियाओं का कब्जा हो गया है। इस बावत केडीए सचिव शत्रोधन वैश्य से दूरभाष पर बात करना चाहा तो उन्होंने फोन नही उठाया। जिससे साफ है कि अधिकारी अब इन घोटालो पर न तो बोलना चाहते है और न ही सामना करना चाहते है।
इस बावत जब मण्डलायुक्त से दूरभाष पर बात करना चाहा तो उनका फोन व्यस्त रहा और बाद में उठा नही। शहर में कई ऐसी बिल्डिंगे है जो सील होने के बाद भी किसी न किसी रूप में संचालित हो रही है। इन सभी प्रकरणो पर केडीए अधिकारी अपना मुंह छिपाते है।