सुप्रीम कोर्ट से गुजरात के कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों और आगजनी में अपीलों पर फैसला आने तक कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की सजा पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, संबंधित हाई कोर्ट को सजा पर रोक लगानी चाहिए थी। इससे पहले बीते महीने गुजरात सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज 10 मामले वापस ले लिए हैं। बता दें कि इससे पहले हार्दिक पटेल ने कहा था कि आंदोलन से जुड़े सभी मामलों को भाजपा सरकार को वापस लेना चाहिए और पाटीदार युवाओं को राहत दी जानी चाहिए।
दायर याचिका को कोर्ट ने की कबूल
गुजरात (Gujarat) में इसी वर्ष के अंत में विधान सभा चुनाव होना है। इससे पहले हार्दिक पटेल ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर सजा को निलंबित करने की मांग की थी ताकि वह 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सकें।
अदालत 15 अप्रैल को आदेश पारित कर सकती है
इसी बीच प्रदेश की बीजेपी सरकार ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज 10 मामलों को वापस ले लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक अहमदाबाद के रामोल पुलिस थाने में दर्ज पटेल और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला वापस लेने के संबंध में एक महानगरीय अदालत 15 अप्रैल को आदेश पारित कर सकती है।
मामलों को वापस लेने के लिए किये गये आवेदन जमा
दरअसल उस समय आंदोलन की अगुवाई करने वाले हार्दिक पटेल समेत कई आंदोलनकारियों के खिलाफ राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई मामले दर्ज किए गए थे। सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने कहा उस वक्त कहा था कि कि राज्य सरकार द्वारा कलेक्टरों को दिए गए निर्देशों के अनुसार मामलों को वापस लेने के लिए विभिन्न अदालतों में आवेदन जमा किए गए थे।
अहमदाबाद में एक सत्र अदालत ने सात मामलों को वापस लेने की इजाजत दी थी। ब्रह्मभट्ट के मुताबिक, हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे के अलावा अहमदाबाद की सत्र अदालत में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का कोई मामला लंबित नहीं है।
हार्दिक ने कहा बीजेपी को सभी मामले वापस ले लेना चाहिए
हार्दिक पटेल इस आंदोलन के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस फैसले के बाद हार्दिक पटेल ने कहा था कि आंदोलन से जुड़े सभी मामलों को बीजेपी सरकार को वापस लेना चाहिए। यही नहीं पाटीदार युवाओं को राहत दी जानी चाहिए।
बता दें कि 2015 में हुए उपद्रव के मामले में 29 मार्च 2019 को गुजरात हाईकोर्ट से हार्दिक पटेल को बड़ा झटका लगा था। हाईकोर्ट ने हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मेहसाणा में 2015 के उपद्रव मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने की अपील की गई थी। वहीं 2018 में निचली कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।