भास्कर समाचार सेवा
दिल्ली। विश्व योग गुरु अनिल जैन से टेलीफोन वार्ता पर कोरोना के विषय पर चर्चा करने पर उन्होंने कई सुझाव दिए हैं .कोरोना के इस भयंकर प्रकोप को प्राकृतिक प्रकोप बताते हुए उन्होंने कहा की आज की वैधिक स्थिति को देखते हुए मनुष्य को शाकाहार का पालन करना चाहिए सात्विक प्रवृत्तियों की ओर वापस मूड जाना पाहिए .क्योंकि इंसान सभ्यता के विकास के साथ साथ अपने खानपान और संस्कार को भूलकर बनावटी भोजन की ओर बढ़ गया हे. भारतीय भोजन जो कि वैज्ञानिक पद्धति से बनाया हुमा भोजन और शुद्ध शाकाहारी भोजन है और इसमें सभी प्रोटीन से लेकर शरीर की जरूरत की सभी चीज हमें मिलती हैं. लेकिन हम अपने खान – पान को भूल गए हैं. जिसके कारण हमें शारीरिक क्षति उठानी पड़ रही है प्रकृति से छेड़छाड़ प्रकृति के प्रति अनदेखा पन भी वैश्विक आपदाओं का सबसे बड़ा कारण है हम वृक्ष लगाना भूल गए हैं हमारे शास्त्रों में ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों का वर्णन है .और उन्हें पूजा पाठ के द्वारा महत्व दिया है जिससे लोग ऑक्सीजन और औषधि वाले वृक्ष ज्यादा से ज्यादा लगाए और उन्हें ना काटे.
जिससे पर्यावरण अपने आप फिल्टर होता रहता है और नई ऑक्सीजन का निर्माण होता रहता हे शहरी सभ्यता वाहनों के धुएं ने पूरे पर्यावरण को दूषित कर दिया है और ऊपर से दूर – दूर तक वृक्ष नहीं है जो पर्यावरण को नई ऑक्सीजन देकर कार्यन डाइऑक्साइड को ले सके जिससे वातावरण में विषैली गैसों का प्रमाण बढ़ता जा रहा है अब भी समय है हमें अपनी सभ्यता संस्कृति की ओर वापस मुड़ जाना चाहिए और प्राकृती के विषय में गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए. क्योंकि प्रकृति जब क्रोधित होती है तो विनाश करने में विलंब नहीं लगाती है विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जो पिछले कुछ समय में पटी है लेकिन हमने उससे कोई बोध पाठ नहीं लिया है यह हमारे लिए प्रकृति की चेतावनी है . अभी समय है अपने आने वाली नस्लों को हमारे संस्कार प्रकृति सभ्यता खानपान शाकाहार की तरफ वापस लाने का .
जिससे भविष्य में प्राकृतिक प्रकोप से बचा जा सके और हमारे आने वाली नस्लों का शारीरिक ढांचा सभी प्रकार के विकारों और विवाणुओं को झेलने में सक्षम हो सके
विश्व योग गुरु अनिल जैन जी से टेलीफोन वार्ता पर कोरोना के विषय पर चर्चा करने पर उन्होंने कई सुझाव दिए हैं .कोरोना के इस भयंकर प्रकोप को प्राकृतिक प्रकोप बताते हुए उन्होंने कहा की आज की वैधिक स्थिति को देखते हुए मनुष्य को शाकाहार का पालन करना चाहिए सात्विक प्रवृत्तियों की ओर वापस मूड जाना पाहिए .क्योंकि इंसान सभ्यता के विकास के साथ साथ अपने खानपान और संस्कार को भूलकर बनावटी भोजन की ओर बढ़ गया हे. भारतीय भोजन जो कि वैज्ञानिक पद्धति से बनाया हुमा भोजन और शुद्ध शाकाहारी भोजन है और इसमें सभी प्रोटीन से लेकर शरीर की जरूरत की सभी चीज हमें मिलती हैं. लेकिन हम अपने खान – पान को भूल गए हैं. जिसके कारण हमें शारीरिक क्षति उठानी पड़ रही है प्रकृति से छेड़छाड़ प्रकृति के प्रति अनदेखा पन भी वैश्विक आपदाओं का सबसे बड़ा कारण है हम वृक्ष लगाना भूल गए हैं हमारे शास्त्रों में ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों का वर्णन है .और उन्हें पूजा पाठ के द्वारा महत्व दिया है जिससे लोग ऑक्सीजन और औषधि वाले वृक्ष ज्यादा से ज्यादा लगाए और उन्हें ना काटे.
जिससे पर्यावरण अपने आप फिल्टर होता रहता है और नई ऑक्सीजन का निर्माण होता रहता हे शहरी सभ्यता वाहनों के धुएं ने पूरे पर्यावरण को दूषित कर दिया है और ऊपर से दूर – दूर तक वृक्ष नहीं है जो पर्यावरण को नई ऑक्सीजन देकर कार्यन डाइऑक्साइड को ले सके जिससे वातावरण में विषैली गैसों का प्रमाण बढ़ता जा रहा है अब भी समय है हमें अपनी सभ्यता संस्कृति की ओर वापस मुड़ जाना चाहिए और प्राकृती के विषय में गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए. क्योंकि प्रकृति जब क्रोधित होती है तो विनाश करने में विलंब नहीं लगाती है विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जो पिछले कुछ समय में पटी है लेकिन हमने उससे कोई बोध पाठ नहीं लिया है यह हमारे लिए प्रकृति की चेतावनी है . अभी समय है अपने आने वाली नस्लों को हमारे संस्कार प्रकृति सभ्यता खानपान शाकाहार की तरफ वापस लाने का .
जिससे भविष्य में प्राकृतिक प्रकोप से बचा जा सके और हमारे आने वाली नस्लों का शारीरिक ढांचा सभी प्रकार के विकारों और विवाणुओं को झेलने में सक्षम हो सके