कानपुर । मार्च महीना में इस वर्ष भले ही मौसम की गतिविधियां सामन्य न रही हों और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं दिखे, लेकिन इस वर्ष मानसून सामान्य रहने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि भारत में लगातार चौथे वर्ष मानसून सामान्य रहेगा और बारिश भी औसत होगी, जिससे फसलों को बेहतर फायदा होगा।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक डा. एस एन सुनील पाण्डेय ने बताया कि इस साल जून-सितंबर अवधि के दौरान अनुकूल ‘ला नीना’ स्थिति बने रहने के अनुमान के साथ ही देश में लगातार चौथे साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की संभावना है। देश में 2019, 2020 और 2021 में भी चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मानसून मौसम में सामान्य वर्षा हुई थी। आईएमडी के अनुसार, इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान 1971-2020 की अवधि के 87 सेंटीमीटर दीर्घावधि औसत (एलपीए) के मुकाबले 96 से 104 प्रतिशत बारिश होने की संभावना है। विभाग ने कहा कि मात्रत्मक दृष्टि से जून से सितंबर तक मानसूनी वर्षा एलपीए का 99 प्रतिशत रह सकती है जिसमें पांच प्रतिशत उतार-चढ़ाव की संभावना है।
बताया कि कानपुर में आज अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस रहा। न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह की सापेक्षिक आर्द्रता 61 प्रतिशत और दोपहर की सापेक्षिक आर्द्रता 20 प्रतिशत रही। हवा की दिशाएं उत्तर पश्चिम रहीं जिनकी औसत गति 5.3 किमी प्रति घंटा रही।
बताया कि भारतीय मौसम विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, आसमान साफ रहने के साथ गर्मी बने रहने आसार हैं लेकिन बारिश की कोई संभावना नहीं है। अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गर्मी की लहर बचाव के लिए सुबह 11 बजे से शाम 04 बजे के बीच खेतों पर कोई कार्य न करें तथा फसलों में हल्की सिंचाई 10 -12 दिन के अन्तराल पर सायं काल के समय करें। पशुओं को सुबह 11 बजे से शाम 04 बजे तक चरने लिए बाहर न छोड़े। पशुओं को सुबह-शाम नहलायें। रबी की परिपक्व फसलों की कटाई एवं मडाई के कार्य के लिए मौसम अनुकूल है।
देश भर में इस तरह का बना मौसमी सिस्टम
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ को जम्मू कश्मीर और आसपास के इलाकों में एक चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों पर बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा विदर्भ से मराठवाड़ा होते हुए उत्तर आंतरिक कर्नाटक तक फैली हुई है। दक्षिण पूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र के आसपास के हिस्सों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। 19 अप्रैल तक एक नए पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर भारत में पहुंचने की उम्मीद है।