लियाकत मंसूरी
मेरठ। नौ फर्जी फर्म बनाकर 6 करोड़ की ठगी करने वाले आरोपी रूपक वशिष्ठ को जमानत नहीं मिल पायी। विशेष सत्र न्यायालय में जमानत को लेकर बहस हुई। विशेष अभियोजन अधिकारी ने इसका विरोध किया। अदालत ने जेल में बंद आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि नौ फर्जी फर्म बनाकर 99 करोड़ का फर्जी मॉल सप्लाई दिखाकर सरकार से 6.09 करोड़ रुपये ऐंठ लिए गए थे। जांच के दौरान सामने आया, गाजियाबाद के संजय नगर निवासी रूपक वशिष्ठ ने फोटो स्टेट की दुकान कर रखी थी, संजय ने 10 फर्जी फार्म बनाई, जिसमें नौ गाजियाबाद व एक दिल्ली से रजिस्टर्ड होना दर्शाया। उक्त फर्जी फर्मो से संजय ने सरकार को फर्जी सप्लाई दर्शाकर आईटीसी के रूप में 6 करोड़ से भी अधिक की रकम ऐंठ ली, जबकि वास्तव में कोई भी मॉल सप्लाई नहीं किया गया। आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य कागजात के आधार पर पुलिस ने नरेश कुमार को 21 अप्रेल 2021 में गिरफ्तार कर लिया था। सामने आया कि इन लोगों ने राजीव शर्मा के साथ मिलकर फर्जी फर्म बनायी और सरकार को करोड़ों का चुना लगाया। इनमें से राजीव शर्मा पेशे से अधिवक्ता हैं, राजीव शर्मा भी 136 करोड़ की फर्जी सप्लाई दर्शाकर फर्जी आईटीसी प्राप्त कर चुका है और इसी केस में जेल में बंद है। जमानत को लेकर हुई बहस इस मामले में रूपक वशिष्ट ने जमानत अर्जी कोर्ट में डाली थी। जमानत अर्जी न्यायाधीश रजत सिंह जैन की अदालत विशेष सत्र न्यायालय में लगी थी, जिस पर न्यायालय में जमानत को लेकर बहस हुई। सरकार की और से विशेष अभियोजन अधिकारी लक्ष्य कुमार सिंह ने इसका विरोध किया। न्यायाधीश रजत सिंह जैन ने रूपक वशिष्ठ को जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।