‘नाम बड़े पर दर्शन छोटे’, बैटिंग करने से खिलाड़ी कर रहे परहेज

IPL का 15वां सीजन तकरीबन आधा सफर पूरा कर चुका है। इस दौरान कुछ नए ट्रेंड्स देखने को मिले हैं। रिटेन किए गए अधिकतर खिलाड़ी ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ की तर्ज पर नजर आ रहे हैं। वहीं, अनकैप्ड इंडियन प्लेयर्स बढ़िया परफॉर्म कर रहे हैं। डेथ ओवर्स में गेंदबाजी को लेकर बहुत सी टीमें परेशान हैं और काफी रन लुटा रही हैं। टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने से अधिकतर टीमें परहेज कर रही हैं।
रिटेन किए गए खिलाड़ी फॉर्म में नहीं

29 मैचों के बाद कुछ फ्रेंचाइजी रिटेन किए गए खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को देखकर माथा पीट रही होंगी। CSK के लिए मोईन अली, RCB के लिए मोहम्मद सिराज और विराट कोहली , MI के लिए रोहित और कीरोन पोलार्ड और DC के लिए अक्षर पटेल उस लिस्ट में शामिल हैं, जो अब तक इस सीजन में उम्मीदों पर अब तक खरे नहीं उतरे।

अब्दुल समद, यशस्वी जायसवाल और एनरिक नोर्त्या को तो टीम में जगह भी नसीब नहीं हो रही। मुंबई और चेन्नई जैसी चैंपियन टीमें पॉइंट्स टेबल में सबसे नीचे अपने रिटेंड खिलाड़ियों की नाकामी के कारण ही पहुंची हैं।

खिलाड़ियों को ड्राफ्ट सिस्टम के जरिए दोनों फ्रेंचाइजी ने चुना था

इसके उलट जिन खिलाड़ियों को ड्राफ्ट सिस्टम के जरिए दोनों नई फ्रेंचाइजी ने चुना था, वे लगातार अपने प्रदर्शन से धमाल मचा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नई टीमें अंक तालिका में पहले और दूसरे पायदान पर बनी हुई हैं। जैसे-जैसे प्रतियोगिता आगे बढ़ती जाएगी, रिटेन किए गए खिलाड़ियों पर परफॉर्म करने का दबाव भी बढ़ेगा।

दरअसल, रिटेन किए गए खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द ही टीम का बैलेंस टिका होता है। अगर वे परफॉर्म नहीं करते तो उसका खामियाजा टीम भुगतती है। सीजन शुरू होने से पहले आशंका व्यक्त की जा रही थी कि 10 टीमों के साथ क्या इस बार IPL की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा?

हालांकि कुछ अद्भुत अनकैप्ड टैलेंट्स की बदौलत अब तक यह सीजन शानदार रहा है। जितेश शर्मा, तिलक वर्मा, डेवाल्ड ब्रेविस, वैभव अरोड़ा, अभिनव मनोहर और आयुष बडोनी जैसे खिलाड़ी सेल्फ बिलीफ के साथ मैदान पर उतर रहे हैं।

8 टीमों के IPL में, इन खिलाड़ियों को खेल का पर्याप्त समय नहीं मिला होगा, लेकिन अधिक प्लेयर्स को मिले मौके ने इन प्रतिभाओं को पनपने दिया है। पिच और हालात भी बल्लेबाजी के अनुकूल रहे। इससे इन युवाओं को आक्रामक होने में मदद मिली है। इनमें से अधिकांश खिलाड़ियों ने अपने पहले सीजन में काफी रन बनाए हैं। मुश्किल हालात में लाजवाब प्रदर्शन किया है।

ऐसा लगता है कि विदेशी खिलाड़ी टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए अधिक दबाव में हैं, क्योंकि टीमें इंडियन टैलेंट्स का समर्थन करना चाहती हैं और सभी 4 विदेशी खिलाड़ियों को टीम में जगह नहीं दे रही हैं। नीलामी में 8.5 करोड़ रुपए में खरीदने के बावजूद मुंबई ने टिम डेविड को टीम में नहीं चुना।

इस सीजन में पहले ही 11 ऐसे मामले देखने को मिले हैं जब टीमों ने 4 फॉरेन प्लेयर्स को टीम में जगह नहीं दी। किसी भी सीजन के 29 मुकाबलों के बाद यह संख्या सबसे ज्यादा है।

टॉस जीत बॉलिंग करो

IPL 15 के पहले 29 मुकाबलों में जिस टीम ने टॉस जीता है, पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। आखरी 12 मुकाबलों में पहले बैटिंग करने वाली और पहले बॉलिंग करने वाली टीमों ने 6-6 मुकाबले जीते हैं।

नतीजे चाहे जो भी रहे हों, टीमें पहले बल्लेबाजी करने से कतरा रही हैं। टीमें ओस के खिलाफ जाने से परहेज रही हैं। दिल्ली कैपिटल्स के असिस्टेंट कोच शेन वॉटसन ने कहा कि यह अनुमान लगाना नामुमकिन था कि कब ओस पड़ेगी और कब नहीं। नतीजतन कप्तान पहले बैटिंग करने की बजाय टारगेट देखकर अपनी बल्लेबाजी प्लान करना चाहते हैं।

डेथ ओवर्स में बना रही अधिक रन टीमें

डेथ ओवर्स (17-20) में 11.53 का रन रेट किसी भी IPL सीजन में सबसे ज्यादा है। इसका मतलब है कि टीमें अंतिम चार ओवरों में औसतन 47 रन बना रही हैं। पिछले अधिकांश सीजन में टीमों ने डेथ में प्रति ओवर 10 रन की औसत से रन बनाए। UAE में 2020 सीजन और यह मौजूदा सीजन ऐसे हैं, जिनमें डेथ ओवर्स का रन-रेट 11.5 से अधिक हो गया है।

डेथ ओवरों में ओस और छोटी बाउंड्री के साथ गेंदबाजी करने से गेंदबाजों के लिए प्रभाव डाल पाना बहुत मुश्किल हो गया है। ESPN क्रिकइंफो के मुताबिक, यॉर्कर और शॉर्ट ऑफ गुडलेंथ गेंदों से नतीजे अच्छे मिले।

यॉर्कर लेंथ गेंदों पर सिर्फ 5.76 रन प्रति ओवर बन सके हैं, तो वहीं शॉर्ट ऑफ गुडलेंथ गेंदों पर 8.76 रन प्रति ओवर बनाए जा सके हैं। बहुत से गेंदबाज गीली गेंद से यॉर्कर नहीं कर पा रहे हैं। अब तक इस सीजन 16 बार ऐसा हो चुका है जब आखिरी 4 ओवर्स में गेंदबाज ने 20 से ज्यादा रन दिए हों। डेथ ओवर्स के दिग्गज गेंदबाज भी इस बार मुश्किल हालात में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहे।

आखिरी 4 ओवरों में कम से कम 24 से अधिक गेंदें फेंक चुके बॉलर्स में अर्शदीप सिंह, जसप्रीत बुमराह, ड्वेन ब्रावो और मोहम्मद शमी ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 9 रन प्रति ओवर से कम रन दिए हैं। अन्य डेथ ओवर स्पेशलिस्ट – मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, टी नटराजन, आवेश खान और मुस्तफिजुर रहमान – सभी ने 10 रन प्रति ओवर से अधिक लुटाए हैं।

टूर्नामेंट में गुजरात टाइटंस (8.41) एकमात्र टीम है जिसने आखिरी चार ओवरों में प्रति ओवर 10 से कम रन दिए हैं। दूसरी तरफ रॉयल चैलेंजर्स और मुंबई हैं, जिन्होंने अंतिम 4 ओवर्स में प्रति ओवर 13 से अधिक रन दिए हैं। टीमें डेथ ओवरों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही होंगी, क्योंकि इस सीजन में मार्जिन ऑफ एरर यानी गलतियां करने की गुंजाइश बहुत कम है।

पॉवरप्ले में बल्लेबाज बहा रहे पसीना

जहां डेथ ओवरों में 29 मैचों के बाद सबसे ज्यादा रन रेट नजर आया है, वहीं पावरप्ले इस सीजन में ज्यादातर बल्लेबाजों के लिए संघर्षपूर्ण रहा है। पारी के इस फेज में बल्लेबाजों का रन रेट सिर्फ 7.04 है और उनका औसत 27.04 है। हैरानी की बात यह है कि इस फेज में कई बल्लेबाज 100 से भी कम की स्ट्राइक रेट से खेल रहे हैं।

इस सीजन में पावरप्ले के दौरान कम से कम 50 गेंदों का सामना करने वाले 17 बल्लेबाजों में से आठ ने 110 से कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। इसमें फाफ डु प्लेसिस, केन विलियमसन और वेंकटेश अय्यर शामिल हैं।

पावरप्ले के दौरान विकेट से मिल रही शुरुआती मदद का फायदा उठाते हुए तेज गेंदबाजों ने दबदबा कायम कर लिया है। वहीं बल्लेबाज इसका तोड़ नहीं ढूंढ पाए हैं। जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ता जा रहा है, विकेट्स धीमे होते जा रहे हैं। बल्लेबाजी के नजरिए से पावरप्ले का चरण सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पावरप्ले के दौरान बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी अपने खेल के तरीके में बदलाव करते हैं या नहीं!

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