नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 88वीं कड़ी में प्रधानमंत्री संग्रहालय से लेकर जल संरक्षण, गणित के विषय को केंद्र में रखकर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान दिव्यांग साथियों की प्रतिभा का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि तकनीक दिव्यांग साथियों की असाधारण क्षमताओं का लाभ देश और दुनिया को दिलाने में जुटा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम का प्रारंभ प्रधानमंत्री संग्रहालय से किया। उन्होंने कहा कि इस बात उन्हें सबसे ज्यादा चिट्ठियां प्रधानमंत्री संग्रहालय को लेकर मिली है। संग्रहालयों के प्रति छात्रों की जिज्ञासा बढ़ाते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि 18 मई को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाएगा। क्यों न आने वाली छुट्टियों में आप अपने दोस्तों की मंडली के साथ किसी स्थानीय संग्रहालयों को देखने जाएं।
आगे उन्होंने कहा कि “बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का लोकार्पण हुआ है। गुरुग्राम में रहने वाले सार्थक जी पहला मौका मिलते ही संग्रहालय देख आए। उन्होंने नमो एप पर पीएम संग्रहालय की ऐसी चीजों के बारे में लिखा है, जो उनकी जिज्ञासा को और बढ़ाने वाली थी।” उन्होंने कहा कि अमृत काल देश के तमाम प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने का सही समय है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने युवाओं को देश के इतिहास से अवगत कराने के लिए म्यूजियम क्विज शुरू करने की भी घोषणा की।
भीषण गर्मी के बीच जल के महत्व की चर्चा करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि जल से जुड़ा हर प्रयास, हमारे कल से जुड़ा है। जल संरक्षण के लिये सदियों से अलग-अलग समाज लगातार अपने-अपने प्रयास करते आये हैं।’ इस संदर्भ में उन्होंने कच्छ की ‘मालधारी’ जनजाति का जिक्र किया, जो जल संरक्षण के लिए वृदास नामक तरीका इस्तेमाल करती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने जल के महत्व को बताते हुये संस्कृत के एक श्लोक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “पानियम् परमम् लोके, जीवानाम् जीवनम् समृतम् अर्थात संसार में जल ही हर जीव के जीवन का आधार है। जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है, इसलिए हमारे पूर्वजों ने भी जल संरक्षण पर इतना जोर दिया।
आगे उन्होंने कहा कि वेदों से लेकर पुराणों तक हर जगह पानी बचाने, तालाब-सरोवर आदि बनवाने के कार्य को मनुष्य का सामाजिक और आध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है। वाल्मीकि रामायण में जल स्त्रोतों को जोड़ने और जल संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया है। इतिहास की चर्चा करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास के छात्र जानते होंगे कि सिन्धु-सरस्वती और हडप्पा सभ्यता के दौरान भी भारत में पानी को लेकर कितनी विकसित तकनीक होती थी। प्राचीन काल में कई शहर में जल-स्त्रोत आपस में मिले होते थे।
उन्होंने कहा कि पहले जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बहुत ज्यादा थी। लेकिन, आज स्थिति इसके उलट है। मेरा आप सभी से आग्रह है कि अपने इलाके के ऐसे पुराने तालाबों, कुंओं और सरोवरों के बारे में जानें। अमृत सरोवर अभियान की वजह से जल संरक्षण के साथ-साथ आपके इलाके की पहचान भी बनेगी।
गणित की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा। इसका एक बड़ा कारण हमारा वैदिक गणित भी है। उन्होंने कहा कि आपने शून्य की खोज के बारे में तो सुना ही होगा। अगर शून्य की खोज न होती तो शायद विज्ञान में इतनी प्रगति न देख पाते। आगे उन्होंने कहा कि गणित को लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए। आखिर, गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने ही तो दिया है।
इसी विषय को विस्तार देते हुये उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा है, इसका एक बड़ा कारण हमारी वैदिक गणित भी है। आधुनिक काल में वैदिक गणित का श्रेय भारती कृष्ण तीर्थ महाराज को जाता है। उन्होंने गणना के प्राचीन तरीकों को परिस्कृत किया और उसे वैदिक गणित नाम दिया। वैदिक गणित की सबसे खास बात यह थी कि इसके जरिए आप कठिन से कठिन गणनाएं पलक झपकते ही मन में ही कर सकते हैं। आज-कल तो सोशल मीडिय पर वैदिक गणित सीखने और सिखाने वाले ऐसे कई युवाओं के वीडियो भी उपलब्ध हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने वैदिक गणित सिखाने वाले कोलकाता के गौरव टेकरीवाल से बातचीत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकों के अनूठे ‘कैशलेस डे आउट’ प्रयोगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह देश भर में डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाने को दर्शाता है। छोटे ऑनलाइन भुगतान एक बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने में मदद कर रहे हैं। प्रतिदिन 20,000 करोड़ रुपये का ऑनलाइन लेनदेन किया जाता है। पिछले मार्च में यूपीआई ट्रांजेक्शन 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
इस दौरान दिव्यांग साथियों की चर्चा करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक की ताकत कैसे सामान्य लोगों का जीवन बदल रही है, यह हमें आस-पास लगातार नजर आ रहा है। तकनीक ने एक और बड़ा काम किया है, उसने दिव्यांग साथियों की असाधारण क्षमताओं का लाभ देश और दुनिया को दिलाया। हमारे दिव्यांग भाई-बहन क्या कर सकते हैं, ये हमने टोक्यो पैरालंपिक में देखा है। खेलों की तरह ही कला और ज्ञान के साथ-साथ कई क्षेत्र में भी दिव्यांग साथी कमाल कर रहे हैं। इन साथियों को तकनीक की ताकत मिल जाती है, तो वे बड़े मुकाम हासिल करके दिखाते हैं। इसलिए, देश आजकल लगातार संसाधनों और आधारभूत संरचनाओं को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले त्योहारों के लिये देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि देश में ईद का त्योहार आने वाला है। 3 मई को अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाएगी। कुछ दिन बाद ही वैशाख बुध पूर्णिमा का पर्व भी आएगा। यह सभी त्योहार संयम, पवित्रता, दान और सौहार्द के पर्व हैं। आप सभी को इन पर्वों की अग्रिम शुभकामनायें।