ज्वाइंट कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन में बोले पीएम मोदी, कोर्ट की कार्रवाई सरल भाषा में हो

देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने आज एक अनोखी पहल की है। बता दें कि शनिवार यानि की आज विज्ञान भवन में कई मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की ज्वाइंट कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, बड़ी आबादी को न्यायिक प्रक्रिया से लेकर फैसले तक इसको समझने में काफी मुश्किल होती है। आज भी देशभर में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई अंग्रेजी में होती है। ऐसे में इस प्रक्रिया को आसान भाषा में लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, ज्यूडिशल सिस्टम डिजिटिलाइज होना चाहिए। साथ ही लोगों को सुलभ और जल्द न्याय मिले। पीएम मोदी ने कहा कि, देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में हमें आने वाले दिनों में देश की न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। संविधान की दो धाराओं का संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा।

75 वर्षों में ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव के रोल अहम रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ऐसी कॉन्फ्रेंस पहले भी हुई, उनसे हमेशा देश के लिए कुछ ना कुछ नए विचार भी मिले। इस बार ये आयोजन अपने आप में खास है। ये कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हो रही है, जब देश अपने आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के 75 वर्षों में ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव के रोल अहम रहे हैं। जहां जब जरूरी हुआ देश को दिशा देने के लिए इस जोड़ी ने अपना काम किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि, जब देश नए अमृत संकल्प ले रहा है तो हमें भी भविष्य की तरफ देखना होगा। 2047 में जब देश अपने आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे। हम किस तरह सिस्टम को इतना मजबूत बनाएं कि वो हमारी महत्वाकांक्षा पर पूरा उतरे।

न्याय व्यवस्था का विजन हो- पीेएम मोदी

एक ऐसी न्याय व्यवस्था का विजन हो, जिसमें न्याय सुलभ और त्वरित और सबके लिए हो। साथियों देश में न्याय की देवी को कम करने के लिए सरकार अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही है। ज्यूडिशन स्ट्रेंथ बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम हो रहा है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट की वैकेंसी को भरने के प्रयास हो रहे हैं। राज्यों की भी बड़ी भूमिका है। पूरी दुनिया में नागरिकों के अधिकार के लिए उनके सशक्तिकरण के लिए टेक्नोलॉजी महत्वपूर्म टूल बन चुकी है। ज्यूडिशियल सिस्टम में भी टेक्नोलॉजी का काफी महत्व है।

ई कोर्ट्स प्रोजेक्ट्स को मिशन मोड में इम्पिलिमेंट किया जा रहा है। सभी मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट से न्यायाधीशों से आग्रह करूंगा डिजिटल इंडिया के अभियान को आगे बढ़ाएं।

अपने राज्यों के नागरिकों के लिए अधिकारों के लिए कानूनों के जाल को निरस्त करें। लोग बहुत आशीर्वाद देंगे। न्यायिक सुधार सिर्फ नीतिगत विषय नहीं है लंबित पड़े करोडो़ं केसों के निपटारे के लिए जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। देश में करीब 3.5 लाख ऐसे कैदी है जो अंडर ट्रायल या जेल में हैं। ये सामान्य परिवार के लोग है। हर प्रदेश में ऐसी कमेटी होती है जो इन केसों पर काम करती है। सभी मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट से अपील करूंगा। मानवीय संवेदनाओं और कानून के आधार पर इन मामलों को भी प्राथमिकता दी जाए।

कोर्ट में पड़े लंबित मामलों के निपटारे के लिए मिडिएशन भी एक महत्वपूर्ण जरिया है। आपसी सहमति और परस्पर भागीदार न्याय की अलग और जरूरी अवधारणा है। ये हमारी परंपरा का भी हिस्सा है। इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत है।

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