
जिंदगी में कामयाबी के लिये कुछ लोग अपने अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश करते है, ताकि उनके कामयाबी में ये उनका अपराध किसी प्रकार की रुकावटे पैदा न करे। यहीं नही कई बार तो नौकरी पाने की चाहत में बहुत से कर्मचारी अपना आपराधिक रिकॉर्ड छिपाते हैं क्योंकि कई कंपनियों आपराधिक रिकॉर्ड वाले कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से कतराती हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश
हालांकि जब कंपनी को ऐसे कर्मचारियों के असलियत पता चलने पर वह कंपनी मालिक फौरन ही उस कर्मचारी पर एक्शन लेते हुए उसे कंपनी से निकाल देती हैं। लेकिन ऐसे कर्मचारियों के लिये ये खुशी की बात हैं कि अब कोई भी कंपनियां ऐसा नहीं कर सकेंगी। क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि कंपनिया सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड छिपाने के आधार पर अपने कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाल सकती है। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कांस्टेबल पवन कुमार को बर्खास्त करने की मांग को मंजूरी दे दी थी।
अब नहीं होगा कोई कर्मचारी सेवा से बर्खास्त- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, कर्माचारी को निकालने के पीछे सिर्फ क्रिमिनल रिकॉर्ड छिपाने या झूठी जानकारी देना वजह काफी नहीं है। इस आधार पर कंपनियां किसी भी कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त नहीं कर सकते हैं।न्यायाधीश अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस तथ्य की परवाह किए बिना की कोई दोषी करार दिया गया है या नहीं, सिर्फ जानकारी को छिपाने और झूठी जानकारी देने पर एक झटके में नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए कंपनी के पास अन्य ठोस आधार भी होना आवश्यक हैं।
जानिए क्या हैं पूरा मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पद पर तैनात पवन कुमार की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान ये बात सामने आई कि, कांस्टेबल पवन कुमार को RPF में कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन जब वो ट्रेनिंग कर रहे थे तो उन्हें इस आधार पर हटा दिया गया कि उन्होंने यह जानकारी नहीं दी थी कि उनके खिलाफ पुराने किसी मामले में FIR दर्ज की गई थी।
सर्वोच्च अदालत ने पाया कि मामले में प्राथमिकी पवन की ओर से आवेदन भरने के बाद दर्ज की गई थी। वहीं मामले की सुनवाई के जजों की पीठ ने कहा कि, हमने क्रिमिनल रिकॉर्ड्स में लगाए गए आरोपों की प्रकृति को भी ध्यान में रखा जो बेहद मामूली अपराध था।
दायर की गई याचिका स्वीकार
शीर्ष अदालत की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान वर्ष 2014 में अवतार सिंह बनाम भारत संघ मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया। इसी फैसले के आधार पर आरपीएफ कांस्टेबल पवन की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका को स्वीकार कर लिया।
सिर्फ क्रिमिनल रिकॉर्ड छिपाने के लिये नौकरी से नहीं निकाला जा सकता
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कांस्टेबल पवन कुमार को बर्खास्त करने की मांग को मंजूरी दे दी थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, सिर्फ क्रिमिनल रिकॉर्ड छिपाने या झूठी जानकारी देने के आधार पर नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।