
karela ka patta | करेले का पेड़ | गमले में करेला कैसे उगायें | karela ka podha | karela ka ped | करेले की नर्सरी कैसे तैयार करें | karele ka paudha | करेला की खेती का समय | करेला की खेती रोग | हाइब्रिड करेला बीज | करेला में पीलापन | बरसात में करेले की खेती
[2022] गमले में करेला कैसे उगायें- करेले का नाम तो आप लोगों ने सुना ही होगा इसके नाम से ही पता चलता है की यह कड़वा होता है जीहाँ खाने में यह कड़वी लगती है. लेकिन अन्य सब्जियों की तरह इसमें भी अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं.
नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको घर पर गमले में करेला कैसे लगाएं, करेला का बीज कैसे बोए तथा karela ka ped कब लगाना चाहिए इन सबके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। यदि आप भी घर पर गमले में करेले का पौधा लगाकर सब्जि उगाना चाहते हैं तो इस पोस्ट को जरुर पढ़ें.
हाइब्रिड करेला बीज तथा देशी वैरायटी दोनों तरह का करेला मिलता है लेकिन गमले में करेले को उगाने के लिए हमेशा करेले की हाइब्रिड किस्में का ही प्रयोग करना चाहिए.
करेले की वैरायटी | Karela Ka Podha
- प्रिया
- सिजेंटा करेला
- प्राची
- पूसा संकर 1
- आर एच बी बी जी 4
- एम डी यु- 1
- पूसा हाइब्रिड
- पूसा विशेष
- पूसा विशेष
- पंजाब करेला
- पंजाब 14
- अर्का हरित
- अमन श्री
- VNR karela Seeds
करेले का बीज का रेट
करेले के बीज का भाव करें तो इसके बीज थोड़े महंगे मिलते हैं, यदि इसके 200 ग्राम बीज की बात करें तो 200 रुपये से लेकर 350 रुपये तक मिल जाते हैं जिसमें प्रति बीज की कीमत 2 रुपये से लेकर 3.50 रुपये तक होती है.करेला की खेती का समय
यदि आप करेला का पौधा गमले में लगाना चाहते हैं, तो करेले को गर्मी और वर्षा दोनो मौसम में(फरवरी से लेकर जुलाई तक) लगाया जा सकता है.लेकिन यदि आप गर्मी में करेले की बुआई गमले में करना चाहते हैं तो बीज की बुआई करने से पहले बीजों को 18-30 घंटे तक पानी में भिगों कर रखने के बाद बुआई करनी चाहिए.
क्योंकि करेले के बीज बहुत मोटे होते हैं जिसके कारण इसमें अंकुरण बहुत दिनों बाद यानि 12 से 20 दिन में होता हैं इसके अलावा बीजों को पानी में भिगों कर बुआई करने से अंकुरण लगभग 1 सप्ताह में हो जाता है.
गर्मियों में करेले से सब्जी लेने के लिए करेले के बीज को फरवरी से लेकर अप्रैल तक लगाया जाता है सर्दियों के मौसम में करेला नहीं लगाना चाहिए क्योंकि सर्दियों के दिनों में पौधों में जमाव ठीक से नहीं होता है.
करेले के बीज को गमले में लगाने के बाद हजारे की सहायता से हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे और अंकुरण अच्छे से हो सके.
करेले की नर्सरी कैसे तैयार करें
करेले की नर्सरी तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री-
- प्रोट्रे
- कोकोपिड(नारियल खाद)
- वर्मी कम्पोस्ट
- ट्राईकोडर्मा
कोकोपिड(नारियल खाद), वर्मी कम्पोस्ट और ट्राईकोडर्मा तीनो का एक मिश्रण बनाने के बाद प्रोट्रे में अच्छी तरह से हलके हाथों से दबाकर भर दें तथा प्रत्येक खाने में एक बीज की बुआई करके हजारे से हल्की सिंचाई कर दें.
बीज की बुआई करने के बाद प्रोट्रे को 3 दिनों के लिए किसी मल्चिंग पेपर या प्लास्टिक से ढक दें, ऐसा करने से बीजों का अंकुरण जल्दी होता है, जब बीजों का जमाव हो जाये तब प्रोट्रे को हल्की धूप में रख दें तथा हल्की सिंचाई कर दें.
Karele Ka Paudha कितनी साइज़ के गमले में लगायें
गमले में karele ka ped लगाने के लिए 18*18 इंच तथा 15*15 इच के गमले का उपयोग कर सकते हैं अदि आप 15*15 इंच के गमले में करेले को लगाना चाहते हैं तो इसमें आप 2 बीज लगायें और यदि 18*18 इंच के गमले में karele ka paudha लगाना चाहते हैं तो 4 बीज लगायें।
करेले को गमले में लगाने से पहले गमले की मिट्टी को उपजाऊ बना लेना चाहिए. उसके बाद ही करेले के बीज को गमले में लगायें.
करेले को गमले में उगाने के फायदे
- अक्सर देखा जता है की शहरों में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनके पास अपनी खुद की कोई जमींन नहीं होती है तथा इसके आलावा शहरों में सब्जियां बहुत महंगे मिलते ऐसे लोगों के लिए सब्जियां गमले में उगाना फायदेमंद है.
- सब्जियां गमले में उगाने से ताजे और स्वस्थ सब्जी मिलते हैं जबकि बाजार में सब्जियां ताजे बहुत कम ही मिलते हैं.
- गमला हल्का होने की वजह से इसमें सब्जियां उगाना फायदेमंद इसलिए है की बारिश या धुप में इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।
- सब्जियों को गमले में उगाने से बारिश के मौसम में खराब होने का डर नहीं रहता क्योंकि अधिक बारिश होने से गमले में पानी नहीं ठहरने पाता है और सब्जियां जमीन से ऊपर रहती हैं.
- गमले में सब्जियां उगाने से इसमें कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करना पड़ता है जिससे हमें organic vegetables(आर्गेनिक सब्जियां) खाने को मिलती हैं.
सब्जियां गमले में उगाने के नुकसान
- गमले में सब्जियां लगाने से पहले इस बात का ध्यान रखें की आपका गमला मजबूत हो क्योंकि यदि पौधे बड़ा होने के बाद गमला टूट गया तो पौधे सुख जायेंगे.
- गर्मियों के मौसम में गमले को अधिक धुप से बचाना चाहिए क्योंकि इन दिनों गमले धुप की वजह से बहुत गर्म हो जाते हैं जिससे पौधे मुरझाने लगते हैं ईस स्थिति में गमले में पानी देने से पौधे की जड़ें को सड़ने का डर रहता है गर्मियों में गमले को धुप से बचाना चाहिए.
- गमले से लम्बे समय तक सब्जियां लेने के लिए सब्जी के पौधों की हिसाब से गमलों का चयन करना चाहिए क्योंकि गमले में सब्जी के पौधों की जड़ों में गुच्छे बहुत जल्दी बनने लगती हैं जिससे पौधों का विकास धीरे-धीरे रूक जाता है और पौधा सूख जाता है.
- खेतों की अपेच्छा गमले में जगह की कमी होती है जिससे खेतों की तुलना में गमले में मिट्टी सिमित होती है इसलिए पौधों में पोषक तत्वों की कमी न हों समय-समय पर खाद देते रहना चाहिए.
इस लेख में क्या जाना,
इस पोस्ट में हमने आपको करेले को गमले में कैसे उगायें तथा करेला की खेती का समय की जानकारी के बारे में बताया है. यदि आप भी ताजे सब्जियों के शौकीन हैं तो गमले में घर पर करेले लगा सकते हैं. हम उम्मीद करते हैं की करेले को गमले में कैसे उगायें यह लेख आपको अच्छी लगी होगी. यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.
FAQ
Q. करेले का पेड़ कैसे उगता है ?
ANS. करेले के बीज से अच्छे अंकुरण के लिए 18-30 घंटे तक बीज को पानी में भिगों कर सुखा लेना चाहिए उसके बाद प्रत्येक गमले में गमले के साइज़ के हिसाब से 2 से 4 बीज की बुआई करें ऐसा करने से करेले का पेड़ अच्छा उगताहै.
Q. करेला की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है ?
ANS. आमतौर पर करेला की फसल बीज बुआई के के 65-90 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
Q. करेला कैसे होता है ?
ANS. करेला एक बेल या लता वाली फसल है जिसे भोजन के लिए खेतों या गमलों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। इसके फलों का स्वाद बहुत ही कड़वा होता है.
Q. करेला को इंग्लिश में क्या बोलेंगे ?
ANS. करेला का वैज्ञानिक नाम मोमोर्डिका चारैन्टिया है यह कुकुरबिटेसी कुल की फसल है, करेला को इंग्लिश में BITTER GOURD (बिटर गोर्ड) नाम से जाना जाता हैं.
Q. दिसंबर में करेले की खेती ?
ANS. यदि आप दिसंबर में करेले की बुआई करना चाहते हैं तो आपको करेले के बीज को प्रोट्रे या पौलिथिन बैग में इसकी नर्सरी बना लेनी चाहिए क्योंकि दिसंबर में ठंढ बहुत अधिक होती है जिससे जमाव बहुत देरी होता है, करेले की फसल के लिए 20 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 40 डिग्री सेंटीग्रेड की आवश्यकता होती है.