नई दिल्ली ।पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाये गये पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का पूरा फोकस गुज्जर व जाट मतदाताओं को भाजपा से तोड़ने की है। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार तानाजी कोलते का कहना है कि महाराष्ट्र , म.प्र. , राजस्थान , हरियाणा व पश्चिम उ.प्र. में जो गुज्जर व जाट हैं उनके पूर्वजों की सिंधिया राजपरिवार से अच्छे संबंध रहे हैं। महादजी महाराज जब राजा थे तो ग्वालियर रियासत में ग्वालियर व आगरा क्षेत्र तथा आस-पास के इलाके थे। आज के पश्चिम उ.प्र. तथा राजस्थान के तमाम गुज्जर व जाट जागिरदारों से उनके अच्छे संबंध थे। बहुत से तो उनकी रियासत में ही थे। इस कारण गुज्जरों व जाटों में इस परिवार के प्रति आज भी सम्मान है । संभव है इसी समीकरण के चलते उस परिवार के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने पश्चिम उ.प्र. का प्रभारी बनाया है।
पार्टी को इसका लाभ लोकसभा चुनाव में तो मिलेगा ही , विधान सभा चुनाव में भी मिलेगा। इस बारे में बागपत के एक बुजुर्ग जाट रामप्रसाद का कहना है कि सिंधिया परिवार से संबंध राजमाता विजया राजे सिंधिया तक तो थे। उसके बाद सब बदलता गया। लेकिन उस परिवार का नया छोरा आयेगा तो बहुत खुशी होगी । उससे मिलेंगे। जो हो सकेगा करेंगे। यह पूछने पर कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया पश्चिम उ. प्र. के लाट व गुज्जर दोनों जातियों का सम्मान पायेंगे । उस पर रामप्रसाद ने कहा , तू बावला है क्या । वो घर आयेगा तो क्या जाट, क्या गुज्जर सब उसको अपना मानेंगे । जाटों व गुज्जरों ने मिलकर बहुत लड़ाइयां लड़ीं है। इस बारे में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार सुधेन्दु पटेल का कहना है कि ज्यातिरादित्य को पश्चिम उ.प्र. का प्रभारी बनाने से उ.प्र. के सटे राजस्थान के इलाकों पर भी असर पड़ेगा । क्योंकि गुज्जर व जाट मत पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा व राजस्थान की भी तमाम लोकसभा सीटों पर प्रभावी है।