सियासी महायुद्ध : वाघेला के लिए राकांपा को गुजरात में सीट नहीं देगी कांग्रेस…

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नई दिल्ली.  गुजरात के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री शंकर सिंह वाघेला ने शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा ) ज्वाइन कर लिया , लेकिन उनके लिए कांग्रेस गुजरात में राकांपा को लोकसभा सीट नहीं छोड़ेगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस का शरद पवार से गठबंधन है । लेकिन वह गठबंधन केवल महाराष्ट्र तक का ही होकर रह जाता है। वह अन्य राज्यों में भी अपने प्रत्याशी खड़ा करते हैं। उनकी कोशिश गुजरात में भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रहेगी, लेकिन ऐसा करने पर कांग्रेस को नुकसान होगा। क्योंकि कांग्रेस ने यदि गुजरात में उनकी सुनी तब तो वह उनकी पार्टी में शामिल होकर राष्ट्रीय महासचिव पद ले लिए शंकर सिंह वाघेला के लिए लोकसभा की सीट मांगेंगे।

यदि शंकर सिंह वाघेला के लिए सीट ही छोड़ना होता , तो वह तो कांग्रेस में आने की कोशिश कर ही रहे थे। लेकिन 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने जिस तरह से अपने लोगों को खड़ा करके कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया , उसके बाद राज्यसभा के कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल को हरवाने की कोशिश की ,उसके कारण कांग्रेस ने उनसे वापस कांग्रेस में लेने के लिए बात ही नहीं की। तब उन्होंने राकांपा के शरद पवार से बात की और उनकी पार्टी ज्वाइन की। इधर राकांपा के नेताओं का कहना है कि बिहार के कटिहार संसदीय सीट से राकांपा सांसद तारिक अनवर थे । उन्होंने लोकसभा सदस्यता व राकांपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। कांग्रेस ने उनको कटिहार संसदीय सीट से ही लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा है। ऐसे में कांग्रेस छोड़ चुके गुजरात के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने राकांपा ज्वाइन की है तो कांग्रेस को नाराज नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस उनके लिए गुजरात में राकांपा को एक सीट नहीं छोड़ेगी तो बिहार में उसके प्रत्याशी तारिक अनवर के विरुद्ध भी राकांपा अपने प्रत्याशी खड़ा करेगी। इस बारे में गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार डा. हरि देसाई का कहना है कि शंकर सिंह वाघेला लोकसभा चुनाव खुद लड़ें या अपने किसी को राकांपा प्रत्याशी बनायें, इससे नुकसान कांग्रेस को होगा और फायदा भाजपा को होगा। वह कह रहे हैं भाजपा को नुकसान पहुंचाने की बात , लेकिन कर रहे हैं उल्टा। और यदि लोकसभा चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी को केन्द्र में सरकार बनाने के लिए अन्य दलों के समर्थन की जरूरत पड़ी तो उनके नये आका राकांपा प्रमुख शरद पवार इसके लिए आगे आ सकते हैं।

उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनवाने के लिए समर्थन दिया ही , जब शिवसेना नाराज होकर शामिल नहीं हो रही थी। इसलिए बहुतों को यह आशंका है कि शरद पवार महाराष्ट्र में अपने लाभ वाली चाल और अन्य राज्यों में भाजपा के लाभ वाली चाल चल रहे हैं। हरि देसाई का कहना है कि राकांपा गुजरात में लोकसभा की 26 सीटों में से लगभग 3 से 4 पर कांग्रेस का वोट काटकर भाजपा की जीत आसान कर सकती है। इसी तरह से बिहार में भी कांग्रेस को राकांपा से नुकसान पहुँच सकता है |

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