नयी दिल्ली। देश में सभी यात्री वाहनों में पिछली सीट पर बैठने वालों के रियर सीट बेल्ट के उपयोग को अनिर्वाय बनाये जाने के बावजूद करीब में बच्चों के लिए रियर सीट बेल्ट नहीं हैं।
यात्री वाहन बनाने वाली कंपनी निसान द्वारा सेव लाइफ फाउंडेशन के मिलकर तैयार किये गये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार अभी देश में मात्र 11.2 प्रतिशत स्कूल बसों / वैन में बच्चों के लिए सीट बेल्ट हैं लेकिन जगारूकता के अभाव में उसका भी उपयोग नहीं किया जा रहा है।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा के मद्देनजर जारी इस रिपोर्ट में कहा कि रियर सीट-बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाने के कानून होने के बावजूद इसके लिए जागरूकता बहुत कम है जिसकी वजह से ये ज्यादा प्रभावी नहीं है| रियर सीट बेल्ट के उपयोग से दुर्घटना में बच्चों को चोट लगने की संभावना कम हो जाती है|
रिपोर्ट में इस आंकड़े पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के एक रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा गया है कि वर्ष 2015 में देश में स्कूल बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण 422 बच्चों की मृत्यु हो गयी थी और 1622 बच्चे घायल हो हुये थे|
यह सर्वे लगभग 100 स्कूल बसों/वैन पर किया गया, जिनमें से 69 निजी स्कूल की बसें/वैन थीं। 18 बसें सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की थीं और 13 सरकारी स्कूल वाहन थे। इसमें 11 शहरों में लगभग 330 स्कूली वाहन चालकों का भी सर्वेक्षण किया गया है। निसान इंडिया के अध्यक्ष थॉमस कुहेल का कहना है कि जहां एक ओर भारत में सड़क सुरक्षा के लिए कई पहलें की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर रियर सीट बेल्ट के इस्तेमाल की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है।
उनकी कंपनी इस पहल के माध्यम से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती है। रियर सीट बेल्ट के इस्तेमाल के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के उद्देश्य से यह पहल शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि सेव लाईफ फाउन्डेशन और शार्प के साथ रणनीतिक साझेदारी इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अभियान के पहले चरण में 12 शहरों के 240 स्कूलों में दो लाख से अधिक बच्चों तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। इन बच्चों को रियर सीट बेल्ट के इस्तेमाल और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरुक बनाया जाएगा।