शहजाद अंसारी
बिजनौर। सपा के पूर्व मंत्री व नगीना के वर्तमान विधायक मनोज पारस की दलित महिला से गैंगरेप के मामले में मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे इस बहुचर्चित मामले में गैरजमानती वारंट होने के बाद हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे मनोज पारस को कोई राहत नहीं मिल सकी है। हाइकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वारंट के खिलाफ स्टे के लिए दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से न केवल गैंगरेप पीड़िता को इंसाफ मिलने की आस जगी है बल्कि सपा विधायक मनोज पारस की मुश्किलें भी आने वाले समय में बढ़ने वाली हैं।
गौरतलब है कि आठ दिसम्बर 2006 में जनपद बिजनौर थाना नगीना के गांव बिंजहेड़ी की एक दलित महिला ने राशन की दुकान का कोटा दिलाने के बहाने सपा विधायक मनोज पारस पर व उसके तीन साथी जयपाल, अस्सु व कुंवर सैनी पर उसके साथ गैंगरेप किए जाने का आरोप लगाया था। विधायक के रसूख के चलते नगीना पुलिस ने यह बहुचर्चित गैंगरेप का मुकदमा नहीं लिखा था कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बाद मीडिया की सुर्खियां बनने पर विधायक मनोज पारस को मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ा था। सत्ता की हनक के चलते सपा विधायक मनोज पारस ने 18 अक्टूबर 2013 के बाद कोर्ट में पेश होना गवारा नहीं समझा था।
12 सितम्बर 18 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दागी विधायकों व सांसदों की संलिप्ता वाले मुकदमों को शीघ्र निपटारे के आदेश पर हाइकोर्ट के सख्त रुख के बाद फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जज पवन कुमार तिवारी ने नगीना के सपा विधायक व पूर्व मंत्री मनोज पारस के विरुद्ध बीती 29 जनवरी को गैर जमानती व फरारी वारंट जारी कर दिए थे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने हाइकोर्ट द्वारा बहुचर्चित दलित महिला के गैंगरेप के मामले में मनोज पारस द्वारा लिए गए स्टे ऑर्डर को खारिज करने के बाद यह आदेश दिए थे। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे इस बहुचर्चित मामले में गैरजमानती वारंट होने के बाद राहत पाने के लिए हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे आरोपी मनोज पारस को बीती 26 मार्च को सुनवाई टलने के कारण वहां से भी कोई राहत नहीं मिल सकी है।
गुरुवार को हुई सुनवाई में हाइकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने झटका देते हुए वारंट के खिलाफ स्टे के लिए दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र को खारिज कर मामले की मूल फाइल तलब करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 03 अप्रैल 19 नियुक्त की है। हाईकोर्ट के इस नए आदेश से जहां फरार सपा विधायक की मुश्किलें बढ़ गई हैं वहीं सियासी गलियारों में भी हड़कम्प मच गया है।