CJI यूयू ललित से हिजाब विवाद ने लगाई न्याय की गुहार, अब सुनाएंगे अपना फैसला

हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जब गुरुवार को फैसला सुनाया तो दो जजों की बेंच की इस मामले पर राय अलग-अलग थी। 10 दिनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के 3 पहलू

जस्टिस धूलिया का फैसला: मेरे दिमाग में सबसे बड़ा सवाल बच्चियों की शिक्षा का है। मेरी नजर में यह चयन का मामला है। न तो इससे ज्यादा कुछ और न इससे कम। मेरा नजरिया अलग है और मैं इन याचिकाओं को मंजूरी देता हूं।

जस्टिस गुप्ता का फैसला: जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताई और इस फैसले के िखलाफ याचिका दाखिल करनेवाले से 11 सवाल पूछे। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हमारे विचारों में भिन्नता है।

नतीजा क्या निकला?

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह मामला CJI को भेजा जा रहा है ताकि वे उचित निर्देश दे सकें। याचिकाकर्ता के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि अब CJI यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच।

मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील थी कि छात्राएं स्टूडेंट्स के साथ भारत के नागरिक भी हैं। ऐसे में ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा।

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को दी गई थी चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएं दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को देखे बिना हिजाब बैन पर फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा तो सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए।

HC का फैसला- हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं

15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है।

इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई हो रही है।

उडुपी से शुरू हुआ था विवाद

कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया।

मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को हिजाब बैन पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर लगातार 10 दिन से सुनवाई चली। सुनवाई के शुरुआती 6 दिन मुस्लिम पक्ष की दलीलों के बाद कर्नाटक सरकार ने अपना पक्ष रखा। इसमें हिंदू, सिख, ईसाई प्रतीकों को पहनकर आने की तरह ही हिजाब को भी परमिशन दिए जाने की मांग की गई थी।

कर्नाटक हिजाब विवाद पर 5वे दिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई। इसमें सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और हुजेफा अहमदी ने पक्ष रखा।अहमदी ने कहा कि लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थी, लेकिन अगर आप हिजाब बैन कर देंगे तो फिर मजबूर होकर मदरसा चली जाएंगी। इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा है कि ये कैसी दलील है?

कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने कहा था कि कुरान का हर शब्द धार्मिक है, लेकिन उसे मानना अनिवार्य नहीं है। राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने गौकशी पर कोर्ट के फैसले का हवाला दिया था।

कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ड्रेस कोड लागू करने का मतलब है कि आप लड़कियों को कॉलेज जाने से रोक रहे हैं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा था कि पब्लिक प्लेस पर ड्रेस कोड लागू होता ही है। पिछले दिनों ही एक महिला वकील सुप्रीम कोर्ट में जींस पहनकर आ गईं, उन्हें तुरंत मना किया गया। उसी तरह गोल्फ कोर्स का भी अपना ड्रेस कोड है।

मुस्लिम लड़कियां स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन सकती हैं या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 6 दिन जबर्दस्त बहस हुई थी। करीब 19 घंटे की पूरी जिरह को हमने पढ़ा और समझा। इस बहस में तिलक, पगड़ी और क्रॉस का भी जिक्र आया था।

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