आमतौर पर हम युवा और आकर्षक बने रहने के लिए आर्टिफिशियल कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते हैं, लेकिन यह आपकी असली खूबसूरती नहीं होती। दूसरों के लिए हमेशा दया की भावना रखने से हम युवा और ज्यादा आकर्षक बने रहते हैं। इससे हमारा ब्रेन भी एक्टिव रहता है।
यह आंतरिक खूबसूरती ही हमें बाहरी सुंदरता उपलब्ध कराती है। यह सुखी जीवन जीने का भी सबसे शक्तिशाली तरीका है। दरअसल, हाल ही में हुई एक स्टडी में यह जानकारी सामने आई है। लिहाजा हमें दूसरों से सहानुभूति रखनी चाहिए। उदासीनता या नापसंद से समझ की ओर बढ़ने की क्रिया के रूप में सोचें।
दयालु बनने के लिए 4 स्टेप्स का अभ्यास करें
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के कुछ रिसर्चर्स ने पाया कि दयालु बनने के लिए ट्रेनिंग करने से आंतरिक के साथ ही बाहरी खूबसूरती भी बढ़ती है। इसके 4 चरण बताए गए हैं। रिसर्चर्स की मानें तो इनका अभ्यास किया जा सकता है।
सबसे पहले इसके लिए प्रियजन को ध्यान में याद करें।
दया की भावना को आत्मसात करें।
जिस कमरे में आप हैं, उसमें दया की भावना का विस्तार करें।
दया की भावनाओं को, सभी का परोपकार करने की भावनाओं को हर जगह फैलने दें।
कुछ मिनट तक इस तरह का अभ्यास ध्यान लगाकर करें। यह अभ्यास का अंतिम चरण है जो हमें न केवल हमारे निकटतम लोगों से जोड़ता है, बल्कि पृथ्वी पर सभी जीवन से जोड़ता है। यदि आप किसी भी बिंदु पर खो जाते हैं, तो चरण एक पर वापस आएं और दोबारा अभ्यास करें।
मेडिटेशन का असर हमारे DNA पर भी पड़ता है
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ध्यान का असर DNA तक में होता है। दयालुता की भावना को बढ़ाने के लिए ध्यान की ट्रेनिंग की जा सकती है। आयोवा यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर ईवा सी क्लोहेनन के अनुसार जो लोग दयावान होते है, वे आपस में प्रेम करते है।