टी-20 वर्ल्ड कप का पहला एडिशन 2007 में खेला गया था। साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में फाइनल हुआ। जिसमें भारत की भिड़ंत पाकिस्तान से हुई। आखिरी 6 बॉल में पाकिस्तान को जीतने के लिए 13 रन चाहिए थे। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सबको चौंकाते हुए हरभजन सिंह की जगह बॉल अनुभवहीन गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को दे दी।
पहली गेंद जोगिंदर ने ऑफ स्टंप से बाहर डाली। क्रीज पर मिस्बाह उल हक थे और वो बड़ा शॉट खेलने गए, लेकिन बॉल इतनी बाहर थी कि बल्ले से संपर्क ही नहीं हुआ। अंपायर ने इसे वाइड बॉल करार दे दिया। अब पाकिस्तान को जीत के लिए 6 बॉल पर 12 रन चाहिए थे।
अगली बॉल पर एक भी रन नहीं आया। जोगिंदर की शॉर्ट बॉल को मिस्बाह खेलने से चूक गए।
अब जोगिंदर शर्मा ने मिस्बाह को ऑफ स्टंप से थोड़ी बाहर फुलटॉस बॉल डाली। मिस्बाह ने बॉल को ग्राउंड के बाहर छक्के के लिए भेज दिया।
आखिरी 4 बॉल पर पाकिस्तान को जीत के लिए 6 रन चाहिए थे। धोनी दौड़ते हुए बॉलर के पास गए और उन्हें कुछ समझाया।
मैच की तीसरी गेंद जोगिंदर ने तीनों स्टंप के सामने डाली। मिस्बाह ने शॉट फाइन लेग पर स्कूप शॉट लगा दिया। जब तक बॉल हवा में थी भारतीय फैंस की सांसें अटकी रहीं, वहां खड़े श्रीसंत ने मिस्बाह का कैच लपका और टीम इंडिया ने मुकाबला 5 रन से जीत लिया। इस तरह भारत टी-20 वर्ल्ड कप की पहली चैंपियन टीम बनी।
ये पहले टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का बेस्ट मोमेंट था।
2009 वर्ल्ड कप: इंग्लैंड से मिली हार आज तक खलती है
2009 का टी-20 वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया था। पहले मुकाबले में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को 25 रन से हराकर टूर्नामेंट का शानदार आगाज किया। टीम इंडिया का दूसरा मुकाबला आयरलैंड से था और ये भी मैच धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया 8 विकेट से जीत गई, लेकिन तीसरे मैच में वेस्टइंडीज से भारत को 7 विकेट से हार झेलनी पड़ी।
चौथे मैच में भारत की भिड़ंत इंग्लैंड से थी। 14 जून 2009 को टीम इंडिया अंग्रेजों के खिलाफ खेलने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक ग्राउंड पर उतरी। भारतीय टीम के लिए ये मैच करो या मरो वाला था। हारते तो वर्ल्ड कप से बाहर…
टीम इंडिया की गेंदबाजी अच्छी हुई और 20 ओवर में उन्होंने इंग्लैंड को 153 रन पर रोक दिया। हरभजन सिंह ने 4 ओवर में 30 रन देकर सबसे ज्यादा 3 विकेट लिए। वहीं, रवींद्र जडेजा के खाते में 2 विकेट आए।
भारत को मैच जीतने 154 रन चाहिए थे। चोट के कारण सहवाग मुकाबला नहीं खेल पाए थे ऐसे में रोहित शर्मा गौतम गंभीर के साथ बल्लेबाजी करने आए। टीम इंडिया का मध्यक्रम इस मैच में कुछ खास कमाल नहीं कर पाया। रवींद्र जडेजा ने तो 35 बॉल खेलकर 25 रन बनाए थे।
आखिरी 2 ओवर में भारत को जीत के लिए 28 रनों की दरकार थी। क्रीज पर महेंद्र सिंह धोनी और यूसुफ पठान थे, ऐसे में भारत की जीत की उम्मीद लगाई जा रही थी। 19वां ओवर स्टुअर्ट ब्रॉड करने आए और उन्होंने सिर्फ 9 रन दिए।
अब आखिरी ओवर में टीम इंडिया को जीत के लिए 19 रन चाहिए थे और स्ट्राइक थी यूसुफ पठान के पास। इंग्लैंड के कप्तान पॉल कॉलिंगवुड ने रयान साइडबॉटम को आखिरी ओवर की जिम्मेदारी सौंपी। पहली गेंद पर पठान ने एक रन लिया और धोनी स्ट्राइक पर आ गए। दूसरी बॉल साइडबॉटम ने फुल-टॉस डाली जिस पर धोनी ने 2 रन बनाए।
अब 4 बॉल पर जीत के लिए 16 रन चाहिए थे। ऐसा लगा धोनी तीसरी बॉल पर बड़ा शॉट खेलेंगे, लेकिन साइटबॉटम ने ऑफ स्टंप पर एक शानदार यॉर्कर बॉल डाली। धोनी इस गेंद पर 1 रन ही बना पाए।
अभी भी टीम इंडिया की उम्मीदें खत्म नहीं हुई थी। ओवर की चौथी बॉल पर पठान ने एक शानदार छक्का जड़ दिया।
अब भारत को जीत के लिए 2 बॉल पर 9 रन चाहिए थे, लेकिन पठान इस बॉल पर बड़ा शॉट नहीं लगा पाए। उनके बल्ले से सिर्फ 1 रन आया। आखिरी गेंद पर टीम इंडिया की जीत और वर्ल्ड कप में बने रहने के लिए 8 रन चाहिए थे।
कोई चमत्कार ही भारत को जीता सकता था, लेकिन उस दिन कोई चमत्कार नहीं हुआ। धोनी ने आखिरी बॉल पर चौका लगाया जो नाकाफी था। टीम इंडिया ये मैच हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गई। 2007 वर्ल्ड कप की चैंपियन 2009 के वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल भी नहीं खेल पाई थी।
2010 टी-20 वर्ल्ड कप में सुरेश रैना का शतक
भारत के लिए टी-20 वर्ल्ड कप में आज तक सिर्फ एक बल्लेबाज सुरेश रैना ने शतक लगाया है। उन्होंने ये कारनामा वेस्टइंडीज में खेले गए 2010 के वर्ल्ड कप में किया था। साउथ अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने 101 रन की पारी खेली थी। टी-20 क्रिकेट के इतिहास का यह तीसरा शतक था। रैना ने अपनी शतकीय पारी में 9 चौके और 5 छक्के लगाए थे।
भारत ने मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 186 रन बनाए थे। रैना को छोड़ कोई भी भारतीय बल्लेबाजी कुछ खास नहीं कर पाया था। युवराज सिंह के बल्ले से 30 बॉल में 37 रन निकले थे।
जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 20 ओवर में 172 रन ही बना पाई थी। टीम इंडिया ने ये मुकाबला 14 रन से जीता था। हालांकि, इस वर्ल्ड कप में भी भारत का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। हम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाए थे।
2012 वर्ल्ड कप: जब भारत ने साउथ अफ्रीका को 1 रन से हराया
2012 का टी-20 वर्ल्ड कप श्रीलंका में खेला गया था। सुपर-8 के आखिरी मुकाबले में साउथ अफ्रीका के सामने टीम इंडिया थी। मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 152 रन बनाए थे। सुरेश रैना के बल्ले से 44 रन और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 13 गेंदों पर धमाकेदार 23 रनों की पारी खेली थी।
जवाब में दूसरी पारी के 19वें ओवर तक ऐसा लग रहा था कि भारत ये मैच आसानी से जीत जाएगी। साउथ अफ्रीका के 8 विकेट गिर गए थे। वहीं, उनकी टीम को जीत के लिए 14 रनों की जरूरत थी। अफ्रीका के विस्फोटक बल्लेबाज एल्बी मोर्कल अभी भी नाबाद थे।
आखिरी ओवर धोनी ने लक्ष्मीपति बालाजी को दिया और मोर्कल ने पहली ही गेंद पर छक्का लगा दिया। अब 5 गेंद में साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 8 रन चाहिए थे। बालाजी ने मिडिल स्टंप पर स्लोअर बॉल डाली पर मोर्कल बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में बोल्ड हो गए।
अब एल्बी मोर्कल के भाई मोर्ने मोर्कल स्ट्राइक पर थे। तीसरी गेंद पर एक भी रन नहीं आया। आखिरी ओवर की चौथी बॉल बालाजी ने लेंथ बॉल डाली और इस गेंद पर मोर्कल ने 78 मीटर लंबा छक्का जड़ दिया। अब 2 बॉल पर साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 2 रन बनाने थे और उनका एक विकेट बचा था।
बालाजी ने ओवर की पांचवीं बॉल को ऑफ स्टंप पर टारगेट किया। मोर्कल इस गेंद पर भी बड़ा शॉट खेलने गए और यहीं उनसे गलती हुई और वह बोल्ड हो गए। टीम इंडिया ने ये मैच 1 रन से जीत लिया। युवराज सिंह इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच थे। उन्होंने 15 गेंद में 21 रन बनाए और 23 रन देकर 2 विकेट लिया।
इस वर्ल्ड कप में भी भारत अंतिम चार में नहीं पहुंच पाई थी। टॉप-4 में पहुंचने के लिए साउथ अफ्रीका के खिलाफ यह मैच टीम इंडिया को कम से कम 31 रनों के अंतर से जीतना था।
2014: अश्विन की बॉल ऑफ द सेंचुरी
2014 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल तक पहुंच गया था। जहां उसका मुकाबला साउथ अफ्रीका से था। अफ्रीकी टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी थी।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने साउथ अफ्रीकी पारी के छठवें ओवर में अश्विन को गेंदबाजी के लिए बुलाया। ओवर की पहले ही गेंद अश्विन ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी चर्चा आज तक होती है और कोई भी क्रिकेट फैन इसे नहीं भूल सकता।
अश्विन ने कैरम बॉल फेंकी, गेंद लेग स्टंप के बाहर टप्पा खाई जिसे अमला ने खेलने की कोशिश की पर वो स्पिन पढ़ने में चूक गए। गेंद बल्लेबाज की उम्मीद से ज्यादा टर्न कर ऑफ स्टंप से जा टकराई। अमला क्लीन बोल्ड हो गए। अमला पूरी तरह से स्तब्ध थे। अश्विन के इस बॉल को ‘टी20 बॉल ऑफ द सेंचुरी’ कहा गया।
इस मैच में विराट कोहली ने 44 बॉल में 72 रन की शानदार पारी खेली थी। भारत ने ये मुकाबला 6 विकेट से जीता था और फाइनल में जगह बनाई थी। हालांकि, फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया श्रीलंका के खिलाफ 6 विकेट से मैच हार गई और एक बार फिर वर्ल्ड कप जीतने में नाकामयाब रही।
2016: विराट कोहली ने खेली टी-20 क्रिकेट के इतिहास की बेस्ट पारी
2021 टी-20 वर्ल्ड कप की शुरुआत से पहले ICC ने एक कैंपेन शुरू किया था, जिसमें टी-20 वर्ल्ड कप के इतिहास की बेस्ट पारी और पलों को लेकर पोल शुरू किया गया था। इसमें टी-20 वर्ल्ड कप 2016 में विराट कोहली द्वारा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पारी को बेस्ट चुना गया था। विराट कोहली ने उस मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ 51 बॉल में 82 रन बनाकर टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई थी।
2016 का वर्ल्ड कप भारत में खेला गया था। पंजाब के मोहाली में भारत और ऑस्ट्रेलिया आमने सामने थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 160 रनों का टारगेट दिया था।
टारगेट का पीछा करने उतरी इंडिया को पावरप्ले में ही डबल झटके लगे थे और दोनों ओपनर्स आउट हो गए थे। उसके बाद बैटिंग करने आए सुरेश रैना भी सस्ते में लौट गए थे। युवराज सिंह का बल्ला भी कुछ देर ही चला और अंत में धोनी-कोहली की जोड़ी ने टीम को जीत दिलाई।
विराट कोहली ने अपनी उस शानदार पारी में 51 बॉल में 82 रन बनाए थे, इस दौरान उन्होंने 9 चौके और 2 छक्के जड़े। इस जीत के दम पर भी टीम इंडिया ने तब सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
हालांकि, सेमीफाइनल में टीम इंडिया वेस्टइंडीज से 7 विकेट से हार कर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी।
2021 जब पहली बार पाकिस्तान से वर्ल्ड कप में हारा भारत
2021 का टी-20 वर्ल्ड कप भारत कभी नहीं भूला सकता। वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार पाकिस्तान की टीम ने भारत को बुरी तरह से हराया था।
1992 के वनडे वर्ल्ड कप के बाद विराट कोहली भारत के पहले कप्तान थे जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया को पाकिस्तान से हार मिली थी। 2021 से पहले टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान की 12 बार भिड़ंत हुई थी, जिसमें भारत ने सभी मुकाबले जीते थे।
13वें मैच में भारत ने टॉस हारकर पहले बैटिंग करते हुए 151/7 का स्कोर बनाया। कप्तान कोहली ने 57 रनों की पारी खेली थी। पाकिस्तान के लिए शाहीन अफरीदी के खाते में 3 विकेट आए थे।
152 के लक्ष्य का पीछा कर रही पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाजों ने धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए मैच को एकतरफा बना दिया। बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान ने टीम इंडिया के गेंदबाजों को कोई मौका ही नहीं दिया। शुरू से ही दोनों बल्लेबाज टीम इंडिया के गेंदबाजों पर हावी रहे और मुकाबला 13 गेंद पहले 10 विकेट से जीतकर अपने नाम किया। बाबर ने 68 और रिजवान ने 79 रन बनाए थे।