एनसीआरटीसी ने निर्माण स्थलों के पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बनायी रणनीति

पहले आरआरटीएस कॉरिडोर से ही सड़कों पर कम हो जाएंगे एक लाख से अधिक वाहन

भास्कर समाचार सेवा

मेरठ। दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए एनसीआरटीसी ने स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर ऐसे 10 कास्टिंग यार्ड स्थापित किए गए हैं, जहां धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना न्यूनतम है। 20 स्प्रिंकलर और 6 एंटी स्मॉग गन आनंद विहार निर्माण साइट पर एक निश्चित ऊंचाई पर लगाए गए हैं। जल छिड़काव के लिए मोबाइल वाहन भी साइट पर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, एक और कदम उठाते हुए एनसीआरटीसी ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया है, जिसमें  एनसीआरटीसी के वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल हैं।

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने बताया, आनंद विहार दिल्ली के प्रमुख परिवहन केंद्रों में से एक है, जहां आनंद विहार रेलवे स्टेशन, वीर हकीकत राय आईएसबीटीए यूपीएसआरटीसी स्टैंड और दो मेट्रो लाइनें मौजूद हैं। मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन के तहत आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन साइट भी पहले से मौजूद इन सार्वजनिक परिवहन के साधनों के करीब है। आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन एक भूमिगत स्टेशन है, जहां अधिकांश निर्माण जमीनी स्तर से कम से कम 25.30 मीटर नीचे किया जा रहा है। परियोजना की शुरुआत से ही पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एनसीआरटीसी निर्माण के लिए प्री कास्ट सेगमेंट का उपयोग कर रही है। प्री कास्टिंग बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यों के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करता है। सड़क उपयोगकर्ताओं, राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों की असुविधा को कम करता है और वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी करता है। आनंद विहार में सुरंगों के निर्माण के लिए उपयोग किए जा रहे टनल सेगमेंट्स को एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ नियंत्रित वातावरण में कास्ट किया जा रहा है। इन्हें ट्रेलरों पर लादकर रात के समय साइटों पर लाया जाता है ताकि, यातायात संबंधी समस्या और लोगों को कम से कम असुविधा हो। आनंद विहार साइट पर इन सीटू निर्माण की आवश्यकता न्यूनतम है। इसके अलावा, सुरंगों से निकाली गई मिट्टी गीली होती है और ज्यादातर साइट भी गीली होती है। इसलिएए इस साइट पर धूल से होने वाले प्रदूषण की संभावना न्यूनतम है।

ऐसे किया जा रहा धूल और प्रदूषण को खत्म
उन्होंने बताया, इसके अलावा आरआरटीएस निर्माण स्थलों पर ट्रक वाशिंग प्लांट, स्प्रिंकलर और एंटी स्मॉग गन इंस्टॉल की गई हैं। निर्माण कार्य से होने वाली धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है और धूल को उड़ने से रोकने के लिए निर्माण स्थल पर पानी के टैंकरों से पानी का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है। एनसीआरटीसी निर्माण स्थलों के पास धूल को उड़ने से रोकने के लिए सड़कों की मशीनीकृत, वैक्यूम स्वीपिंग भी करता है और इसकी आवृत्ति तेज कर दी गई है।

आरआरटीएस पूरे एनसीआर के लिए परिवहन की रीढ़ के रूप में कार्य करेगा
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण स्तर पिछले कुछ वर्षों से चिंता का विषय रहा है। बीते कुछ वर्षों में यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इसी समस्या के समाधान के रूप में आरआरटीएस और चार राज्य सरकारों दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की भीड़भाड़, वाहनों की भीड़, वायु प्रदूषण को कम करने और क्षेत्र के संतुलित और सतत विकास को सक्षम बनाने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीतिक हस्तक्षेप है। इसके संचालन के बाद आरआरटीएस पूरे एनसीआर के लिए परिवहन की रीढ़ के रूप में कार्य करेगा। संभावित है कि केवल पहले आरआरटीएस कॉरिडोर से एक लाख से अधिक वाहनों सड़कों से कम हो जाएँगे और 2.5 लाख टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी के साथ वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।