दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। गेहूं की बुआई से पहले पुआल का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। किसान भाई कंबाइन से कटी फसल में डिकंपोजर की एक शीशी 200 लीटर पाने में घोलकर तीन-चार दिन बाद स्प्रे कर जुताई कर सकते हैं। हाथ से कटी फसल की पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.श्याम सिंह ने ऑफ कैंपस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत किसान प्रशिक्षण का आयोजन बड़ोखर खुर्द विकाससंड के ग्राम कतरावल में किया गया।
कतरावल गांव में किसान प्रशिक्षण का आयोजन
डॉ. सिंह ने आयोजित प्रशिक्षण में धान में फसल अवशेष प्रबंधन का महत्व किसानों को समझाया। बताया कि जनपद में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान फसल होती है। इसके बाद गेहूं की बुआई के लिये समय कम बचता है। ऐसे में जहां खेत की तैयारी के लिये धान की पुआल का प्रबंधन महत्वपूर्ण है, वहीं किसान कंबाइन से कटाई की फसल में आग लगा देते हैं। यह गलत है।
किसानों को सलाह दी कि धान की पुआल एवं शेष ठूंठों को जल्द से जल्द सड़ाने के लिये खेत में पलेवा करते समय 50 से 60 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर छिड़क दें। इसके बाद जुताई करने से पुआल जल्द सड़ जायेगी। वर्ना देर से सड़ने पर दीमग का प्रकोप हो सकता है। इससे गेहूं की फसल पर प्रारंभ के दिनों में विपरीत प्रभाव पड़ता है। फसल पीली पड़ जाने से बढ़वार रुक जाती है। किसान भाई कंबाइन से कटी फसल में डिकंपोजर की एक शीशी 200 लीटर पाने में घोलकर तीन-चार दिन बाद स्प्रे कर जुताई कर सकते हैं। हाथ से कटी फसल की पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जा सकता है।