रमजान का पाक महीना की शुरूआत हो गयी । रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग 30 दिन तक रोजे रखते हैं। इस दौरान रोजा रखने वालों को इस महीने में खान-पान पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है. इस्लामी कैलेंडर के इस नौवें महीने के दौरान, मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना खाए-पिए रहकर रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। रामजान के दिनों जकात यानी दान देना, कुरान पढ़ना, नामज पढ़ना आदि कामों से अल्लाह तआला खुश होते हैं और अपने बंदे के तमाम गुनाह माफ कर देते हैं।
हर मुसलमान की जिंदगी में रमजान के महीने की खास अहमियत होती है, क्योंकि कहा जाता है कि इस महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं.
रमजान के महीने में की गई इबादतों का सवाब दूसरे महीनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा मिलता है। इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस्लाम में इसे बेहद पाक महीना माना जाता है ।
इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं, तरावीह की नमाज और कुरआन शरीफ का पाठ करते हैं. जकात और दान-पुण्य करने पर भी सवाब मिलता है। मुस्लिम लोग रमजान के दौरान दुनियादारी से हटकर सिर्फ खुदा की इबादत करते हैं। पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत करते हैं।
मस्जिदों में तरावीह होती है जिसमें इमाम महीने भर में दिनों पूरा कुरान शरीफ पढ़ते हुए नमाज पढ़ाते हैं। रमजान के पाक महीने में रोजेदार झूठ बोलने से बचते हैं। मुस्लिम रमजान के दौरान जकात गरीबों में पैसा बांटते हैं।
बताते चले पहले पाक रमजान का महीना सर्दियों में आता था, लेकिन अब यह महीना भीषण गर्मी में आता है। गर्मियों में रोजे रखना भी आसान नहीं है। जबकि पहले सर्दियों के महीने में रोजे आता थे। सर्दियों में रोजे रखना असना होता था।
गर्मियों में कड़ी गर्मी के बीच 14 से 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर रोजेदार को कड़ी परीक्षा देनी पड़ती है। अफ्रीका के कई मुस्लिम देशों में, गर्मियों में तापमान बहुत अधिक होता है। यहा रमज़ान के महीने में रोजेदारों की हालत बहुत ही गंभीर हो जाती है। अब सवाल उठता है कि सर्दियों के मौसम में आनेवाला रमजान गर्मियों में क्यों आता है?
दरअसल, मुस्लिम धर्म में चांड कैलेंडर को फॉलो किया जाता है। इसे इस्लामी पंचाग भी कहते हैं। इस कैलेंडर में चांद दिखाई देने के अनुसार तिथि तय होती है। इस कैलेंडर में 12 महीने लगभग 354 दिन के होते हैं। यानि कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के 365 दिनों की तुलना में 11 दिन कम होता है।
यही कारण है कि इस्लामिक चांद कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर कैलेंडर से हर साल लगभग 11 दिन पीछे चला जाता है। तो इससे साफ है कि रमजान के महीने का पहला दिन जो इस्लामी कैलेंडर के 9वां महीना, लगभग हर साल 11 दिन पीछे जाता है। यही कारण है कि सर्दियों में पड़नेवाला रमजान अब गर्मियों में पड़ने लगा।
क्या है रमजान और रमजान से जुड़ी मान्यताएं
- माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं. इसलिए इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है और ऊपर वाला अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर करता है उनसे खुश होता है।
- कहते हैं कि रमजान के पाक माह में दोजख यानी नर्क के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
- रमजान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है. महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह धुल जाते हैं।
- माहे रमजान में नफिल नमाजों का शबाब फर्ज के बराबर माना जाता है।
- रमजान में रोजा रखा जाता है. रोजादार भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करते हैं. वे सिर्फ सहरी और इफ्तार ही ले सकते हैं. रोजादार को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना, औरत को बुरी नजर से देखना, खाने को लालच भरी नजरों नहीं देखना चाहिए।
- माना जाता है कि पाक रमजान माह में फर्ज नमाजों का शबाब 70 गुणा बढ़ जाता है.।
बताते चले मुबारक रमजान का चांद इस्लामी महीने शाबान की 29 तारीख यानी 5 मई को देखा जाएगा।. रविवार को रमजान का चांद नजर आने के साथ ही शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी, जो पूरे रमजान चलेगी। तरावीह की नमाज में बड़ी संख्या में नमाजी शामिल होकर तिलावते कलामे पाक के साथ नमाज अदा करते हैं। अगर रविवार को रमजान का चांद नजर नहीं आता तो सोमवार से तरावीह की नमाज शुरू होगी। मस्जिदों में अलग-अलग समय पर एक पारे से लेकर 5 पारे तक की तरावीह की नमाज अदा की जाएगी। .
मस्जिद समय पारे
मस्जिद दारुल उलूम नदवतुल उलमा 9:00 बजे सवा पारा.
मस्जिद हरमैन, मंसूर नगर 8:30 बजे सवा पारा.
मस्जिद टिकैत राय तालाब 8:30 बजे सवा पारा.
मस्जिद जमीयतुल कुरैश, चिकमंडी 8:30 बजे सवा पारा.
मस्जिद मामू-भांजे की कब्र, गुईन रोड 8:45 बजे सवा पारा.
मस्जिद इब्राहीमी, टूडि़यागंज 8:30 बजे सवा पारा.
मस्जिद अबू बक्र, भोलानाथ कुआं 8:30 बजे डेढ़ पारा.
मस्जिद सिद्दीकिया, कटरा मोहम्मद अली खां 8:30 बजे डेढ़ पारा.
मस्जिद मम्मी जर्राह, मंसूर नगर 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद सारिया, हाता सूरज सिंह 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद तम्बाकू मंडी 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद दबीरुद्दौला, चौपटियां 8:30 बजे दो पारा
मस्जिद अनस, कच्चा पुल 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद मोहम्मदी, चौपटियां 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद इब्राहीमी, राजाबाजार 8:40 बजे दो पारा.
मस्जिद सुब्हानिया, राजाबाजार 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद गुलाब, गोलागंज 8:30 बजे दो पारा.
मस्जिद तकवीयतुल ईमान, नादान महल रोड 8:30 बजे तीन पारा.
हाजी हरमैन की मजार, मेडिकल कॉलेज 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद इब्राहीम, पुल गुलाम हुसैन 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद हम्जा, कंघी वाली गली 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद कश्मीरी मोहल्ला, मंसूर नगर 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद उस्मानिया, महबूबगंज 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद कगारवाली, महमूद नगर 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद आएशा, बड़ी वाली, महमूद नगर 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद फातमी, खुर्रम नगर चौराहा 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद इस्माईली, ड्योढ़ी आगा मीर 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद मोहम्मदी, मोमिन नगर 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद धनिया मेरी, मौलवीगंज 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद ख्वास, मौलवीगंज 8:30 बजे तीन पारा.
मस्जिद उमर, बिल्लौचपुरा 8:35 बजे तीन पारा.
दारुल उलूम फरंगी महल, ऐशबाग ईदगाह 8:30 बजे पांच पारा.
मस्जिद शाहमीना शाह की मजार, चौक 8:30 बजे पांच पारा.
मस्जिद अखाड़े वाली, बिल्लौचपुरा 8:30 बजे पांच पारा.
मस्जिद मदारा बेग, बिल्लौचपुरा 8:30 बजे पांच पारा.