बहराइच: गृह भ्रमण कर आशाएं करेंगी 15 माह तक के सभी बच्चों की देखभाल

बहराइच l जनपद में होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड( एचबीवाईसी) कार्यक्रम के तहत आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है । प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान 3 से 15 माह तक के बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण के साथ-साथ जलीय स्वच्छता, पर्यावरणीय स्वच्छता व व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व भी बताएंगी। इस प्रयास से जहां बाल्यकाल में होने वाली बीमारियों में कमी आएगी वहीं बच्चों के पोषण स्तर में सुधार व शारीरिक, मानसिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि जनपद में सभी आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पांच दिवसीय एचबीवाईसी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है । बीते 10 नवंबर से शिवपुर ,बलहा , विशेश्वर गंज व नवाबगंज में 37 अलग-अलग बैचों में प्रशिक्षण कार्य चल रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश ,जिला व ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षण की गुणवत्ता व तकनीकी सहयोग में यूनिसेफ़ के मंडलीय प्रबन्धक साकेत शुक्ला का विशेष सहयोग रहता है। 

डीसीपीएम मो0 राशिद ने बताया प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता तीन से 15 माह के बच्चों के स्वास्थ्य ,स्वच्छता व पालन-पोषण की निगरानी करेंगी । इस प्रयास से बाल्यकाल में होने वाली बीमारियां जैसे निमोनिया , डायरिया व कुपोषण आदि पर रोकथाम लगेगी । इससे बच्चे कम बीमार पड़ेंगे व बाल मृत्यु दर में कमी आएगी।

चेतावनी चिन्ह बताते हैं गंभीर समस्या के लक्षण

नवाबगंज में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षक चंदरेश्वर पाठक ने बताया कि बढ़ते हुए बच्चों की गतिविधियों को समझकर उनके शारीरिक व बौद्धिक क्षमताओं का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि तीन माह का बच्चा परिचित व्यक्ति को देखकर नहीं मुस्कराता, अचानक ज़ोर की आवाज से चौकता या रोता नहीं, स्तनपान या बात करते समय मां से आंख नहीं मिलाता, बच्चे के हाथ-पांव व गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न या सर पीछे की तरफ झुक जाता है।

आंखों में भेंगापन या हाथ के अंगूठे को लगातार दबाना या मुट्ठी नहीं खोलना वहीं छह माह का बच्चा अपना सिर नहीं सम्हाल पाता, आवाजें जैसे अ ,आ इ नहीं निकाल पाना, सहारे के बावजूद भी नहीं उठ पाना , गतिशील वस्तुओं को देखते समय सिर और आंखे एक साथ नहीं घुमा पाना, अपनी पहुंच की वस्तुओं को भी नहीं पकड़ पाना, पेट के बल लेटने पर सिर नहीं उठा पाना ऐसे लक्षण होने पर बच्चे को तुरंत चिकित्सक से दिखाना चाहिए।

प्रशिक्षक जुगुल किशोर चौबे ने बताया कि नौ माह के बच्चे का लेटे रहने पर पलट नहीं पाना, सरल शब्द जैसे पा , माँ बा आदि नहीं बोल पाना ,बैठने के लिए सहारे की जरूरत महसूस करना ,आवाज की दिशा में मुड़ नहीं पाना , वस्तुओं को देखने के लिए हर बार सिर को एक ही तरफ झुकाना । वहीं बारह माह का बच्चा ऊंगली और अंगूठे से छोटी चीजें नहीं उठा पाना , अपने सामने छिपाए हुए खिलौने को भी नहीं खोज पाना, गोद में जाने के लिए हाथ नहीं बढ़ाना  , नाम बुलाने पर भी नहीं सुनना या कोई प्रतिक्रिया नहीं करना, लुका-छिपी जैसे खेल नहीं खेलना ऐसे लक्षण किसी  गंभीर समस्या के चेतावनी चिन्ह हैं। बच्चे को तुरंत चिकित्सक से दिखाना चाहिए।

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